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भारतीय मुक्केबाजों ने विश्व चैंपियनशिप में रचा इतिहास

by Bhupendra Sahu

ताशकंद,। दीपक भोरिया, मोहम्मद हुसामुद्दीन और निशांत देन ने बुधवार को विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अपने-अपने चर्टरफाइनल मुकाबले जीतकर भारत के लिये तीन ऐतिहासिक कांस्य पदक सुनिश्चित कर दिये।दो बार के राष्ट्रमंडल खेलों के कांस्य पदक विजेता हुसामुद्दीन ने 57 किग्रा के चर्टरफाइनल में बुल्गारिया के जे डियाज इबनेज को 4-3 से हराया। दीपक (51 किग्रा) ने किर्गिस्तान के नूरजि़गित दुशेबाएव को 5-0 से हराकर फ्लाईवेट वर्ग में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। निशांत देव ने क्यूबा के जॉर्ज क्यूलर को 5-0 से हराकर 71 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल में जगह बनायी।

भारत ने एक विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पहली बार तीन पदक जीते हैं। इससे पहले वैश्विक आयोजन में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2019 में आया था जब मनीष कौशिक और अमित पंघाल ने देश के लिये पदक जीते थे।
दिन के पहले चर्टरफाइनल में दीपक का दबदबा ऐसा था कि रेफरी को बाउट के बाद के चरणों में दियुशेबाएव को दो स्टैंडिंग काउंट देने पड़े। दीपक अपनी लंबी कद-काठी का प्रयोग कर साफ और सटीक मुक्के मारने के अवसरों की तलाश में थे।
पहले राउंड के बाद 0-5 से पीछे चल रहे दियुशेबाएव ने दूसरे दौर की आक्रामक शुरुआत की, लेकिन दीपक ने मजबूत बचाव किया और मुक्कों के उत्कृष्ट संयोजन के साथ जवाबी हमला किया।
दीपक अंतिम राउंड में अधिक रक्षात्मक दिखे, लेकिन शुरुआती दो चरणों की बढ़त उन्हें जीत दिलाने के लिये काफी थी।
इस बीच, हुसामुद्दीन ने बुल्गारिया के जे. डियाज इबनेज को 4-3 के बंटे हुए फैसले से हराकर भारत के लिए एक और पदक पक्का किया। शुरुआत से ही दोनों मुक्केबाजों के बीच कांटे की टक्कर चली। हुसामुद्दीन को रिंग में इबनेज की चाल को भांपने में कुछ समय लगा। इस खब्बू मुक्केबाज ने रक्षण के लिए अपनी रफ्तार का उपयोग किया और जवाबी हमले करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी पर कुछ भारी वार किये।
भारतीय मुक्केबाज के लिए दूसरा राउंड काफी आरामदायक था। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी के हमलों को जल्दी से भांप लिया और बदले में भारी मुक्के मारे। तीसरे राउंड में देखा गया कि दोनों मुक्केबाजों ने सावधानी बरती और काफी आक्रामक हो गए लेकिन हुसामुद्दीन ने जीत हासिल करने के लिए अपने मुक्कों का अच्छी तरह से मिश्रण किया।
मैच के बाद हुसामुद्दीन ने कहा, यह एक कठिन बाउट थी क्योंकि मेरा प्रतिद्वंद्वी वास्तव में अच्छा खेल रहा था। इससे मुझे कुछ परेशानी हुई लेकिन किसी तरह मैं जीत गया और अगले दौर में आगे बढ़ गया। मैंने बाउट से पहले कोच के साथ योजना बनाई थी और मैच में पूरी तरह से उस योजना पर कायम रहा। हमारी योजना थी कि मैं रिंग में आगे बढ़ता रहूंगा और अपने प्रतिद्वंदी को हमला करने के लिए मुझ तक पहुंचने के लिए बाध्य करूं। इस योजना ने पूरी तरह से काम किया।
शुक्रवार को होने वाले सेमीफाइनल मैच में हुसामुद्दीन का मुकाबला क्यूबा के सैदेल होर्ता से होगा। दूसरी ओर, निशांत देव ने लंबे कद के जॉर्ज के खिलाफ पहले राउंड में बढ़त हासिल करने के लिये अपनी स्फूर्ती और सटीक मुक्कों का इस्तेमाल किया। दूसरा राउंड भी भारतीय मुक्केबाज के पक्ष में गया क्योंकि उन्होंने जॉर्ज को अंक हासिल करने से रोकते हुए खुद को आगे बनाए रखा।
मैच के बाद निशांत ने कहा, एकतरफा फैसले से क्यूबा के मुक्केबाज के खिलाफ मैच जीतने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है। हमारी रणनीति पहले राउंड से प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाने और पूरे बाउट के दौरान मानसिक रूप से मजबूत रहने की थी। मैं फाइनल में पहुंचने के लिए भी इस सकारात्मक मानसिकता को अपनाऊंगा।
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