Home » प्रोजेक्ट युवा की पहली सफलता: सुनील, कीर्तन, भुवन ने शौक को बनाया स्व रोजगार का जरिया

प्रोजेक्ट युवा की पहली सफलता: सुनील, कीर्तन, भुवन ने शौक को बनाया स्व रोजगार का जरिया

by Bhupendra Sahu

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में युवाओं के लिए सरकार द्वारा रोजगारपरक योजनाओं में से एक प्रोजेक्ट योजना के तहत धमतरी जिले के तीन युवकों के लिए आय का साधन बन गया है। धमतरी जिले में प्रोजेक्ट युवा के परिणाम अब आने शुरू हो गए हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत फोटोग्राफी का निःशुल्क प्रशिक्षण लेकर गंगरेल-रुद्री के तीन युवाओं ने अपने शौक को अब रोजगार के रूप में अपना लिया है। सुनील साहू, कीर्तन साहू और भुवन मीनपाल ने महानदी के किनारे अंगारमोती में अपनी फोटोग्राफी की दुकान खोली है। तीनों युवा यहाँ माँ अंगार मोती के दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों की अलग अलग लोकेशनों में आकर्षक फोटो खींचकर तुरंत प्रिंट उपलब्ध करा देते है। तीनों युवा हर दिन एक से डेढ़ हज़ार रुपए कमा रहे हैं। इन तीनों ने प्रोजेक्ट युवा की संकल्पना को मूर्त रूप देकर धमतरी के युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही स्व रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार का आभार जताया है।
फोटोग्राफी की निःशुल्क ट्रेनिंग ने फोटोग्राफी की कला को निखारा। फोटोग्राफी की कला अब कमाई का जरिया बन गया है, फोटोग्राफी कभी सिर्फ शौक था, अब वही रोज़गार बन चुका है। गंगरेल के स्थानीय निवासी कीर्त्तन कुमार साहू और उनके साथी सुनील साहू तथा भुवन मीनपाल आज फोटोग्राफी के जरिए आत्मनिर्भर बन चुके हैं। जिला प्रशासन द्वारा दिए गए निः शुल्क फोटोग्राफी प्रशिक्षण की बदौलत। कीर्तन साहू बताते हैं, “हम पहले भी फोटो खींचते थे, फोटोग्राफी हमारा शौक था, लेकिन तकनीक और समझ की कमी थी। जब जिला प्रशासन ने प्रोजेक्ट युवा में फोटोग्राफी का निःशुल्क प्रोफेशनल प्रशिक्षण दिया, तब समझ आया कि फोटो सिर्फ क्लिक नहीं होती, बल्कि एक कला होती है।“ तीनों साथियों ने इस प्रशिक्षण में फोटोग्राफी की बारीकियां सीखी। कैमरे के प्रकार से लेकर लाइट, अपर्चर, स्पीड, फ्रेम सब की जानकारी मिली। इंडोर और आउट डोर फोटोग्राफी के गुर भी सीखें।
ट्रेनिंग के बाद आज कीर्तन, सुनील और भुवन तीनों ने मिलकर गंगरेल डैम और अंगारमोती परिसर जैसे पर्यटन स्थलों पर फोटोग्राफी का काम शुरू किया हैं। छुट्टी के दिनों और विशेष मेला-मड़ई के अवसर पर भीड़ वाले दिनों में इनकी कमाई एक से डेढ़ हज़ार रुपये प्रतिदिन तक पहुंच जाती है, जबकि सामान्य दिनों में पाँच सौ से एक हज़ार रुपये तक की आमदनी हो जाती है। प्रोजेक्ट युवा के तहत निःशुल्क ट्रेनिंग ने न सिर्फ इनकी कला को निखारा, बल्कि कमाई का साधन भी बना दिया। यह पहल उन युवाओं के लिए मिसाल है, जो हुनर तो रखते हैं, लेकिन उन्हें सही दिशा नहीं मिलती।
प्रशिक्षण के बाद इन तीनों युवाओं को फोटोग्राफी का स्टाल शुरू करने के लिए भी जिला प्रशासन ने मदद की है । इन्हें रेडीमेड और आसानी से असेंबल होने वाले आकर्षक स्टॉल भी निःशुल्क दिए गए है। अब ये युवा एक बैट्री से चलने वाले प्रिंटर की मदद से पर्यटकों के आकर्षक फोटो प्रिंट कर तत्काल उपलब्ध करा देते हैं। रियायती दरों पर लोगों को उनके पेन ड्राइव या मोबाइल में भी फोटो की सॉफ्ट कॉपी भी उपलब्ध कराई जा रही है। अब पर्यटकों को भी अपने प्रवास की मधुर स्मृतियाँ इस फोटो बूथ से मिल रही है।

Share with your Friends

Related Articles

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More