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पाक सीमा पर तनाव के बीच केंद्र का बड़ा कदम: 244 जिलों में मॉक ड्रिल के आदेश

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव और संभावित सैन्य टकराव की आशंका के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने बुधवार को देशभर के 244 सीमावर्ती और तटीय जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल (नागरिक सुरक्षा अभ्यास) कराने का आदेश दिया है। गृह मंत्रालय के नागरिक सुरक्षा विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक बी. संदीपकृष्ण ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह निर्देश भेजा है। इससे पहले दो मई को भी राज्यों को मॉक ड्रिल की सूचना दी गई थी।

ड्रिल में क्या-क्या होगा?
हवाई हमले के अलर्ट सिस्टम की जांच
ब्लैकआउट (बिजली गुल) की प्रक्रिया का अभ्यास
स्कूलों और आम नागरिकों को बचाव प्रशिक्षण
महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की पहचान छिपाने की कवायद
आपात स्थिति में सुरक्षित निकासी का पूर्वाभ्यास

244 जिलों में सुरक्षा अभ्यास, क्यों जरूरी?
संदेह जताया जा रहा है कि किसी भी संभावित हमले की स्थिति में दुश्मन की नजरें फैक्ट्रियों, एयरबेस, और ऊर्जा केंद्रों पर होंगी, इसलिए इन प्रतिष्ठानों को चिन्हित कर छिपाने की योजना बनाई जा रही है। साथ ही, आम लोगों को हमले के समय क्या करना है, इसका प्रशिक्षण देना भी इस अभ्यास का हिस्सा है।

जनता से क्या कहा गया है?
गृह मंत्रालय की बैठक में अधिकारियों ने लोगों से चिकित्सा किट, टॉर्च, मोमबत्ती और नकद अपने पास रखने की अपील की है ताकि आपातकाल की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।

वायुसेना से संपर्क और जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष
अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वायुसेना के साथ हॉटलाइन और रेडियो संपर्क बनाए रखें, मॉक ड्रिल के दौरान वार्डन सेवाएं, अग्निशमन, रेस्क्यू और डिपो प्रबंधन का भी परीक्षण किया जाएगा। सभी 244 जिलों में नियंत्रण कक्ष और नकली नियंत्रण केंद्र बनाए जाएंगे।

1971 के बाद पहली बार ऐसा अभ्यास
भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 1971 में आखिरी बार ऐसा सिविल डिफेंस अभ्यास किया गया था। अब 54 साल बाद हालात को गंभीर मानते हुए केंद्र सरकार ने दोबारा यह कवायद शुरू की है।

पीएम मोदी को दी गई जानकारी, डोभाल और सेना प्रमुखों से भी बैठकें

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सुरक्षा तैयारियों पर रिपोर्ट दी। इससे पहले तीनों सेनाओं के प्रमुख, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी पीएम से मिल चुके हैं। इन बैठकों को लेकर सैन्य कार्रवाई की संभावनाओं के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

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