नई दिल्ली। सरकार ने ईपीएफओ के तहत आने वाले कर्मचारियों के लिए बड़ा एलान किया है। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को बताया कि सेवानिवृत्ति कोष निकाय ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल कर्मचारी अब केवल चेहरे की पहचान करारकर ही सार्वभौमिक भविष्य निधि खाता संख्या (यूएएन) और उससे जुड़ी सेवाएं हासिल कर सकेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने बिहार के छह जिलों जिनमें अररिया, सहरसा, औरंगाबाद, बांका, पूर्वी चंपारण और गोपालगंज शामिल हैं, में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के तहत पूर्ण रूप से अधिसूचित करने की भी घोषणा की। इससे लगभग 24,000 अतिरिक्त लोग ईएसआईसी की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में आ सकेंगे। मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, मांडविया ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने चेहरे के प्रमाणीकरण का उपयोग करके यूएएन आवंटन और उसे एक्टिवेट करने के लिए उन्नत डिजिटल सेवाएं शुरू की हैं। करोड़ों ईपीएफओ सदस्यों को संपर्क रहित, सुरक्षित और पूरी तरह से डिजिटल सेवाओं का लाभ मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब कर्मचारी उमंग मोबाइल एप के जरिए आधार फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (एफएटी) का उपयोग करके सीधे यूएएन बना सकते हैं। नियोक्ता भी किसी नए कर्मचारी के आधार फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (एफएटी) का उपयोग करके यूएएन बनाने के लिए उमंग एप का उपयोग कर सकता है।
यूएएन जनरेट करने के लिए, कर्मचारी को उमंग एप खोलना होगा और फेस ऑथेंटिकेशन के जरिए यूएएन आवंटन और एक्टिवेशन के चरणों का पालन करना होगा। आधार-आधारित सत्यापन के बाद, यूएएन जनरेट हो जाएगा और आधार डेटाबेस में दिए गए मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए इसे भेज दिया जाएगा। यूएएन बनाने के बाद, कर्मचारी उमंग एप या सदस्य पोर्टल से यूएएन कार्ड डाउनलोड कर सकता है। नई प्रक्रिया के लाभ यह है कि इसमें आधार की 100 प्रतिशत पुष्टि होती है और उपयोगकर्ता फेस ऑथेंटिकेशन का उपयोग करता है। मंत्री ने आगे बताया कि जिन सदस्यों के पास पहले से ही यूएएन है, लेकिन उन्होंने अभी तक इसे सक्रिय नहीं किया है, वे अब उमंग ऐप के माध्यम से आसानी से अपना यूएएन सक्रिय कर सकते हैं। चेहरा प्रमाणीकरण का उपयोग करने से बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, जनसांख्यिकीय या ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण जैसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में उच्च स्तर की सुरक्षा मिलती है।
