नई दिल्ली । जजों की छुट्टियों पर सीजेआई ने दो टूक कहा है कि छुट्टियों के लिए हम सभी की आलोचना की जाती है। सभी कहते हैं इनको छुट्टी बहुत ज्यादा मिलती है। लोग यह नहीं समझते कि जज सप्ताह के सातों दिन काम करते हैं। हमारे जिला न्यायाधीश हर दिन काम करते हैं, यहां तक कि शनिवार और रविवार को भी उन्हें कानूनी सहायता शिविर लगाना पड़ता है या उन्हें अन्य प्रशासनिक कार्य करने पड़ते हैं।
सीजेआई ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों से आग्रह किया कि वे सप्ताहांत में जिन व्याख्यानों और सम्मेलनों में भाग लेते हैं।
उनका खुलासा करें, जिससे उन्हें सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में जोड़ा जा सके और आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि जज क्या कर रहे हैं। खासकर तब जब बड़े पैमाने पर जनता उन पर लगातार नजर रख रही हो।
उन्होंने कहा, यूट्यूब पर मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग हम पर नया बोझ डालती है। पहले के वर्षों में हम अदालत में जो कहते हैं, उसे अदालत में मौजूद 50 लोग या 100 लोग ही देखते और सुनते हैं।
अब आप अदालत में जो कहते या सुनते हैं, उसका असर पूरे देश और उसके बाहर भी होता है। इससे जजों पर बहुत बड़ा बोझ पड़ता है कि आप क्या बोलते हैं। बिना सोचे-समझे की गई टिप्पणियों में बहुत सावधान रहना चाहिए। क्योंकि हमारे द्वारा कही गई हर बात की व्याख्या और गलत व्याख्या की जा सकती है। इसलिए जजों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि सिस्टम की नई मांग उन पर क्या गति डालती है।