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रामलला के साथ ही आज भारत का स्व लौटकर आया है: मोहन भागवत

by Bhupendra Sahu

अयोध्या । 500 वर्ष के पराभव काल के कलंक को मिटाकर अयोध्या के भव्य जन्मभूमि मंदिर में श्रीराम लला की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम कई मायनों में नए प्रतिमान गढ़ते हुए देश को विश्वगुरू बनाने के नए सोपान की ओर अग्रसर करेगा। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में इसी बात को उल्लेखित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख व सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने जनमानस को हर्ष की इस घड़ी में 4 नव प्रण दिलाकर यह आशा जताई कि इनका पालन कर मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होने के भीतर ही भारत विश्वगुरू बनकर पूरी दुनिया में अपनी आभा बिखेरने लगेगा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज का आनंद शब्दों में वर्णातीत है। आज अयोध्या में रामलला के साथ भारत का स्व लौटकर आया है।

संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत उठ खड़ा होगा इसका यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम साक्षी बन रहा है। सब में आनंद है, सब में उमंग है। हमने सुना इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पधारने के पूर्व पीएम मोदी ने कठिन व्रत रखा जो कि उनके तपस्वी स्वभाव को दर्शाता है। श्रीराम अयोध्या से बाहर क्यों गए इसके पीछे कलह कारण था। श्रीराम वनवास में गए और पूरी दुनिया का कलह मिटाकर लौटे। आज 500 वर्ष बाद श्रीराम फिर लौटे हैं। रामलला के इस युग में फिर लौट के आने का प्रकरण जो भी आज श्रवण कर रहा है उसका कल्याण निश्चित है। उन्होंने कहा, Óदैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज काहु नहीं व्यापा…सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।Ó कहा कि रामराज्य के सामान्य नागरिकों का जो वर्णन है वह अब हमारे व्यवहार से साकार हो सकता है। संयमित व्यवहार की तपश्चर्या हम सबको करनी होगी।

हमें क्लेश-कलह नहीं बल्कि उच्च आचरण से देश की तरक्की में योगदान देना होगा। श्रीमद्भागवत में धर्म के जो चार चरण बताए गए हैं उनका हमें पालन कर इस ब्रह्म सत्य को अंगीकार करना होगा। हम सबसे हैं और सब हमारे हैं, इसे मानने से ही हम सत्य का आचरण कर सकेंगे। दूसरा चरण है करुणा का, जिसके जरिए हमें समाज में सभी की सेवा करनी है। शुचिता तीसरा चरण है, जिसके जरिए हमें स्वच्छता को भी बढ़ावा देना है। हम अगर अपने को संयम में रखेंगे तो पृथ्वी सभी मानवों को जीवित रखेगी। लोभ नहीं करना और संयम का पालन करते हुए अनुशासित रहना ही सच्ची राम भक्ति है। इनसे जीवन में पवित्रता आती है। वह बोले, हम साथ चलेंगे-बोलेंगे और मन-वाणी, वचन-क्रम को एकीकृत कर भारत को विश्वगुरू बनाएंगे। हमें इस व्रत को आगे लेकर जाना है।

शब्दों में बयां नहीं हो सकता श्रीराम की लीलाओं का वर्णन: महंत नृत्यगोपाल दास
-रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है कि श्रीराम की पावन जन्मभूमि पर भगवान का महोत्सव हो रहा है। यह अत्यंत हर्ष और उत्कर्ष का विषय है। अयोध्या में भगवान की लीला ऐसी है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं हो सकता है। उन्होंने जनमानस को श्रीराम की इस पावन जन्मभूमि पर अपनी श्रद्धा-समर्पण का भाव अर्पित करने का आह्वान किया।
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