नई दिल्ली । पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक हुई। उसमें वायु सेना के विमानों के बेड़े की संख्या बढ़ाने के लिए 83 स्वदेशी तेजस एमके-1ए जेट विमानों की खरीद को मंजूरी प्रदान की गई। ये सभी विमान हिंदूस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल से खरीदे जाएंगे। पिछले साल जारी नई रक्षा खरीद नीति के तहत देश में ही डिजाइन, विकसित तथा निíमत श्रेणी में यह पहली खरीद है। तेजस भारत का पहला ऐसा स्वदेशी लड़ाकू विमान है, जिसमें लगे 50 फीसद से ज्यादा कलपुर्जे भारत में ही निíमत हैं। इसके एमके-1ए श्रेणी में 50 फीसद के बजाय 60 फीसद स्वदेशी उपकरण और तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। कैबिनेट ने वायु सेना के बेस रिपेयर डिपो में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए भी अपनी सहमति प्रदान की है। इससे डिपो के अंदर लड़ाकू विमानों की देखरेख और मरम्मत का कार्य आसानी से हो सकेगा। यह स्पष्ट है कि अब हल्के लड़ाकू विमानों (एलसीए) का एचएएल में उत्पादन किए जाने से आत्मनिर्भर अभियान के साथ-साथ देश के रक्षा उद्योग को मजबूती प्राप्त होगी। इस खरीद प्रस्ताव के कारण डिजाइन और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की तकरीबन 500 एमएसएमई कंपनियों को भी काम मिलेगा। ऐसा होने से देश के अनेक नवयुवकों को रोजगार प्राप्त होगा। इस तरह यह कार्यक्रम देश में उन्नत विमान प्रणालियों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। इस सौदे के तहत खरीदे जा रहे इन 83 विमानों में 73 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान और 10 तेजस एमके-1 प्रशिक्षण विमान शामिल हैं। इससे पहले रक्षा मंत्रलय ने 40 तेजस जेट विमानों की खरीद को स्वीकृति प्रदान की थी। इस तरह वायु सेना के पास अब 123 तेजस विमान हो जाएंगे। 83 विमानों की पहली खेप वायुसेना को 2024 में मिल जाने की संभावना है, जबकि पूरी खेप 2029 तक मिलने का लक्ष्य रखा गया है। दुश्मनों की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना के पास कुल 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए, जबकि हमारी वायुसेना के पास मौजूदा समय में केवल 30 स्क्वाड्रन ही हैं। विदित हो कि वायु सेना केएक स्क्वाड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं। एचएएल से 83 तेजस मिल जाने के बाद वायुसेना के बेड़े में कम से कम चार स्क्वाड्रन की बढ़ोतरी होगी। वायुसेना में अभी तेजस की कुल दो स्क्वाड्रन हैं और 83 नए तेजस लड़ाकू विमान मिलने के बाद इनकी संख्या छह हो जाएगी। इन 123 जेट विमानों के अतिरिक्त भारत सरकार 170 तेजस मार्क-2 की खरीद को भी मंजूरी देने पर विचार कर रही है। तेजस मार्क-2 नवीन तकनीक एवं उन्नत इंजन से सुसज्जित होगा। एलसीए तेजस मार्क-1ए एक उत्कृष्ठ और स्वदेश में विकसित-उत्पादित किया जाने वाला साढ़े चार पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसे विभिन्न प्रकार की उच्च कोटि की यौद्धिक क्षमताओं से लैस किया गया है, जिनमें अतिआधुनिक रडार, बियांड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और हवा से हवा में ईंधन लेने की क्षमता प्रमुख हैं। तेजस के निर्माण में कंपोजिट मैटेरियल का प्रयोग किया गया है। तेजस चौथी पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों के समूह में सबसे हल्का और सबसे छोटा विमान है और भारतीय वायु सेना की सभी परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है। तेजस लड़ाकू विमान 52 हजार फुट तक की ऊंचाई पर ध्वनि की गति से डेढ़ गुना से भी ज्यादा तेज अर्थात मैक 1.6 से लेकर मैक 1.8 तक की तेजी से उड़ सकते हैं। इतनी ऊंचाई पर यह 2,300 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है। इसका वजन 12 टन तथा लंबाई 13.2 मीटर है। इस विमान के पंखों का फैलाव 8.2 मीटर है। इसकी उंचाई लगभग 4.4 मीटर है। उड़ान के समय इसकी रफ्तार 1350 किलोमीटर प्रति घंटा है। एक तेजस विमान की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये है। इसका इंजन अमेरिकी है। इसके रडार और हथियार प्रणाली इजरायली हैं और बैठने की सीट ब्रिटेन की है। तेजस विमान एक साथ नौ तरह के हथियारों से फायर करने में सक्षम है। इस पर एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं। यह लड़ाकू विमान हवा से हवा में, हवा से जमीन पर एवं हवा से पानी में मिसाइल दागने की क्षमता रखता है। यह केवल 460 मीटर के रनवे पर दौड़कर उड़ने की क्षमता रखता है। इस तरह यह नौ सेना के किसी भी विमानवाहक पोत से टेक ऑफ और उस पर लैंडिंग करने में माहिर है। इस जेट फाइटर में लगा वानग सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों और एयरक्राफ्ट का पता लगा सकता है। कम उंचाई पर भी यह विमान उड़ान भरकर शत्रु सेना पर नजदीक से हमला कर सकता है। इसके अलावा यह विमान लेजर गाइडेड मिसाइल से आक्रमण कर सकता है। इसकी खास बात यह है कि जैमर प्रोटेक्शन तकनीक से लैस होने के कारण यह दुश्मन की आंखों में धूल झोंकने में सक्षम है।