नई दिल्ली। सरकार ई-वाणिज्य क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिनके तहत इस क्षेत्र की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वाली ऐसी कंपनियों को उन विक्रेताओं से उत्पाद खरीदने से रोकना है जिनमें उनकी खुद अथवा उनकी मूल कंपनी की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है। सरकार ने इससे पहले दिसंबर 2018 में उत्पादों की आनलाइन बिक्री के लिए मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को उन कंपनियों के उत्पाद बेचने से रोका था जिनमें उनकी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है। मौजूदा नीति के मुताबिक आनलाइन बिक्री मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियों में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है लेकिन उनके लिए गोदामों में रखे तैयार माल की बिक्री करने जैसी गतिविधियां चलाने का निषेध है। सरकार का एफडीआई वाली ई- वाणिज्य कंपनियों के मामले में नियमों में बदलाव के बारे में विचार करना महत्वपूर्ण है। क्योंकि देश के व्यापारियों का संगठन कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि ई- वाणिज्य कंपनियां फेमा और एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। कैट के मुताबिक वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा नियमों के कथित उल्लंघन संबंधी ज्ञापन को प्रवर्तन निदेशालय और रिजर्व बैंक को जरूरी कार्रवाई के लिए भेज दिया है।
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