Home » क्षय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को तम्बाकू व धूम्रपान से परहेज जरुरी,

दुर्ग : राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण एवं क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए गतदिनों एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को क्षय रोग के लक्षण, कारण एवं बचाव के उपायों के सम्बंध में विस्तृत जानकारी देते हुए क्षय रोग से पीड़ित व्यक्तियों को तम्बाकू व धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की अपील की गई। प्रशिक्षण के प्रारम्भ में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम की जिला सलाहकार डॉ.सोनल सिंह द्वारा क्षय रोग पर तम्बाकू व धूम्रपान सेवन के प्रभाव एवं तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के सम्बंध में जानकारी दी गई।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गम्भीर सिंह ठाकुर ने बताया, “तम्बाकू नियंत्रण के साथ ही कई रोगों से बचाव किया जा सकता है। इसके सेवन से श्वसन संबंधित रोगों से प्रभावित व्यक्ति के लिए कोरोना संक्रमण जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में धुम्रपान सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरुक करने से कई तरह के रोगों के संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। डॉ. ठाकुर ने बताया, क्षय रोग यानी टीबी से ग्रसित व्यक्ति आस पास बैठे लोगों को धूम्रपान से रोगी बना सकता है। धूम्रपान करने से फेफड़े का क्षय रोग तेजी से बढ़कर खतरनाक हो जाता है। धूम्रपान स्वयं के लिए खतरनाक तो होता ही है, साथ ही पास में बैठे लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। इससे फेफडे़ की टी.बी. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकती है। एक टी.बी. का मरीज लगभग 10 नए व्यक्तियों को प्रतिवर्ष टी.बी. का रोग फैला सकता है”।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में द यूनियन के प्रतिनिधि प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा कोटपा एक्ट 2003 के प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गयी साथ ही तम्बाकू उत्पादों का राज्य में उपयोग, हानिकारक प्रभाव एवं बचाव के सम्बंध में विस्तृत जानकारी दी गई”। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रशिक्षण में उपस्थित प्रतिभागियो के साथ विस्तृत चर्चा करते हुए जिले में तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में किये जा रहे प्रयास को गति देने की अपील की । नगर निगम क्षेत्र को तंबाकू मुक्त शहर बनाए जाने के प्रयास को सफल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को हर संभव सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए। कोटपा अधिनियम के क्रियानव्यन सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम प्रशासन की अहम भूमिका है, क्योंकि शहर के समस्त सार्वजनिक क्षेत्र (बस स्टेण्ड, बाजार, शासकीय कार्यालय ,समस्त शैक्षणिक संस्थान, गार्डन, सिनेमा घर, मॉल, अस्पताल एवं अन्य) तथा समस्त पान दुकान, किराना दुकान, होटल, होल सेल एवं अन्य लाइसेंस प्राप्त विक्रेता नगर निगम के अंतर्गत आते हैं जिनके द्वारा कोटपा अधिनियम के प्रावधानों का क्रियानव्यन सुनिश्चित करते हुए तंबाकू के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सकता है”।

तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के परामर्शदाता ललित साहू द्वारा तम्बाकू नियंत्रण के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास से अवगत कराते हुए काउंसिलिंग के विभिन्न पहलुओं एवं चुनौतियों के सम्बंध में अवगत कराया गया। उन्होंने बताया, “प्रदेश में कोटपा एक्ट के प्रावधानों के अनुसार सभी सार्वजनिक स्थलों, दुकानों व स्कूलों के मेन गेट पर कोटपा कानून की जानकारियां, निषेध और सजा-जुर्माना से संबंधित बोर्ड लगाना अनिवार्य है। कानून का उल्लंघन करते हुए शासकीय कार्यालय व शैक्षणिक स्थलों के नजदीक पान, गुटखा, तंबाकू और सिगरेट की दुकानें खोलने पर कार्रवाई की जा रही हैं। कोटपा अधिनियम की धारा 4 के तहत होटल, रेस्टोरेंट, शैक्षणिक संस्थान व समस्त निजी एवं सरकारी कार्यालयों पर धूम्रपान करना प्रतिबंधित है। कोई व्यक्ति यदि सार्वजनिक स्थलों पर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा खाता हुआ या 18 वर्ष से कम आयु वाले किशोरों को तंबाकू उत्पादों को बेचते पकड़ा जाता है तो जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। तंबाकू उत्पादों के डब्बे पर स्वास्थ्य संबंधित हानि से जुड़ी चेतावनी का अंकित होना अनिवार्य है”।

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