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अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत, स्पेशल कोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई

by Bhupendra Sahu

रायपुर । शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। हालांकि अभी उन्हें जेल से बाहर आने के लिए स्पेशल कोर्ट की अंतिम अनुमति का इंतजार करना होगा। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को एक सप्ताह के भीतर ढेबर को स्पेशल कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। स्पेशल कोर्ट जमानत की शर्तों पर अंतिम फैसला सुनाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी राहत?
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की डिवीजन बेंच ने कहा कि जिस अपराध में अनवर ढेबर आरोपी हैं, उसकी अधिकतम सजा सात साल है और केस की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक कि उसका मूल अपराध तय न हो जाए।

सख्त शर्तें लागू
अनवर ढेबर को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। उन्हें स्पेशल कोर्ट में नियमित रूप से उपस्थित होना पड़ेगा। मुकदमे के निपटारे में सहयोग करना जरूरी होगा।

ईडी ने किया विरोध
ईडी ने कोर्ट में विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि अनवर ढेबर शराब सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है और उसका राजनीतिक व प्रशासनिक प्रभाव बहुत ज्यादा है। ईडी ने दावा किया कि ढेबर की रिहाई जांच को प्रभावित कर सकती है। इसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि बिना मुकदमा शुरू किए किसी को अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।

केस की जमीनी हकीकत
40 गवाहों का हवाला दिया गया है। अब तक 3 पूरक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। मूल केस के अलावा, 450 गवाहों वाले एक अन्य पूर्ववर्ती अपराध की जांच अभी भी जारी है। अभी तक किसी केस में संज्ञान नहीं लिया गया है।

अभी जेल में ही रहना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही ढेबर को सशर्त जमानत दी हो, लेकिन उन्हें तत्काल रिहाई नहीं मिलेगी। ईडी उन्हें स्पेशल कोर्ट में पेश कर पुराने मामलों का हवाला देते हुए फिर से जेल भेजने की मांग कर सकती है। यानी जमानत के बावजूद ढेबर की रिहाई अभी अधर में है।

पृष्ठभूमि
जनवरी 2024 में छत्तीसगढ़ पुलिस ने शराब घोटाले में FIR दर्ज की थी। अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की एक ECIR खारिज कर दी थी। इसके बाद ईडी ने नई शिकायत के आधार पर फिर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में गिरफ्तार अन्य आरोपियों को भी राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है, लेकिन जांच एजेंसियों की सख्ती और कानूनी पेचीदगियों के चलते राहत की राह अब भी लंबी लग रही है।

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