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मार्च में भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां धीमी हुईं; उत्पादन, बिक्री पर भी असर

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । भारत की विनिर्माण गतिविधियों में मार्च 2021 में नरमी देखने को मिली, और इस दौरान मुद्रास्फीति की चिंताओं के चलते कारोबारियों का भरोसा कम होने से कंपनियों के नए ऑर्डर और उत्पादन की रफ्तार कम हुई। एक मासिक सर्वेक्षण में सोमवार को यह बात कही गई।
मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) मार्च में 54.0 पर था, जो फरवरी में 54.9 पर था। मार्च के आंकड़े उत्पादन और बिक्री में सितंबर 2021 के बाद से सबसे कमजोर वृद्धि को दर्शाते हैं।

हालांकि, लगातार नौ महीनों से कुल परिचालन दशाओं में सुधार का रुख जारी है। पीएमआई की भाषा में 50 से अधिक अंक का अर्थ विस्तार होता है, जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन को दर्शाता है। एसएंडपी ग्लोबल की अर्थशात्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि कि वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में भारत में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि कमजोर हुई है और कंपनियों ने नए ऑर्डर तथा उत्पादन में नरमी की बात कही है। इस दौरान रासायन, ऊर्जा, कपड़ा, खाद्य पदार्थ और धातु जैसे क्षेत्रों में कच्चे माल की लागत बढ़ी।

हालांकि इन सबके बीच मार्च में कंज्यूमर सेंटीमेंट पिछले 12 महीनों की तुलना में ऊंचा दिखा। मार्च में प्रोडक्ट्स की खपत बढ़ी हुई है। परिवारों में घरेलू खर्च में 62प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला। जो कि पिछले महीने की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक है।
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