बालोद। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के तहत जिले में निर्मित गौठान व चारागाहों में मवेशियों के लिए सुविधायुक्त आश्रय स्थल एवं चारागाहों के माध्यम से पौष्टिक आहार की व्यवस्था हुई है। गौठान व चारागाह ग्रामीणों के आय का स्त्रोत बन रहा है। जिले में चयनित गौठानों में गोधन न्याय योजना संचालित है यहां खरीदे गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त इसे मल्टीएक्टिविटी सेंटर के रूप में स्थापित कर स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा विभिन्न गतिविधियां यथा- वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट निर्माण, सब्जी बाड़ी, चैनलिंक फेसिंग तार निर्माण, गोबर का दिया, हर्बल गुलाल, मुर्गीपालन, मछलीपालन, कड़कनाथ पालन, एलोविरा की खेती, फिनाइल, मशरूम उत्पादन, डेयरी, दोना पत्तल, अरहर की खेती आदि गतिविधियॉ की जा रही है। उक्त गतिविधियों के संचालन हेतु मनरेगा आदि योजनाओंं के माध्यम से स्वसहायता समूह के लिए वर्कशेड, मुर्गी शेड, डेयरी शेड, डबरी, वर्मी टांका का निर्माण किया गया है साथ ही समय-समय पर स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को विभिन्न गतिविधि हेतु प्रशिक्षण प्रदाय कराया जा रहा है। गौठान के क्रियाकलापों से अन्य ग्रामीण भी प्रोत्साहित हो रहे है। गौठानों में निर्मित वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट से एक ओर जहां वर्मी कम्पोस्ट निर्माण कर रही महिलाओं को आमदनी प्राप्त हो रहा है वहीं दूसरी ओर किसानों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से जिले में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है।
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