मुंबई । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक बड़े फैसले में अमेरिकी वित्तीय फर्म जेन स्ट्रीट ग्रुप और उससे जुड़ी पांच कंपनियों पर भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। गुरुवार को जारी एक आदेश में, बाजार नियामक ने इन कंपनियों को किसी भी प्रकार की प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या लेन-देन से सीधे या परोक्ष रूप से प्रतिबंधित कर दिया है।
सेबी ने यह कठोर कदम जेन स्ट्रीट ग्रुप द्वारा वायदा एवं विकल्प (स्न&ह्र) सेगमेंट में कैश इक्विवैलेंट का दुरुपयोग कर 4,843 करोड़ रुपये का अवैध मुनाफा कमाने के आरोपों के चलते उठाया है। नियामक ने कंपनी को यह पूरी राशि एक राष्ट्रीयकृत बैंक में एस्क्रो खाते में जमा करने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा, सेबी ने जेन स्ट्रीट के बैंक खातों से निकासी पर भी रोक लगा दी है, जिससे बिना नियामक की पूर्व अनुमति के कोई भी डेबिट संभव नहीं होगा।
अपने आदेश में, सेबी ने जेन स्ट्रीट को अपनी सभी मौजूदा खुली वायदा एवं विकल्प पोजीशन को अगले तीन महीनों के भीतर या उनकी समाप्ति तिथि तक, जो भी पहले हो, समाप्त करने का निर्देश दिया है।
क्या है कैश इक्विवैलेंट का मामला?
वायदा एवं विकल्प कारोबार में, कैश इक्विवैलेंट उन संपत्तियों को कहा जाता है जिन्हें आसानी से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है, जैसे कि अल्पकालिक निवेश। ट्रेडर्स अक्सर इन्हें मार्जिन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं ताकि वे स्न&ह्र में बड़े सौदे कर सकें और साथ ही अपने निवेश पर ब्याज भी कमा सकें। सेबी का आरोप है कि जेन स्ट्रीट ने इसी प्रणाली का गलत फायदा उठाकर बाजार में हेरफेर किया और अनुचित लाभ कमाया।
इस प्रतिबंध के दायरे में जेन स्ट्रीट ग्रुप के अलावा जेएसआई इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जेएसआई2 इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जेन स्ट्रीट सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड और जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग लिमिटेड शामिल हैं। सेबी का यह कदम बाजार में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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