भाजपा की अगुवाई में बनने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की नई सरकार के लिए महत्वाकांक्षी सुधारों को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाना चुनौतीपूर्ण होगा। देश-दुनिया की विभिन्न रेटिंग एजेंसियों का दावा है कि कमजोर जनादेश की वजह से इन सुधारों पर कानून पारित करने में सहयोगी दल बाधा डाल सकते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे, क्योंकि वह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाना चाहती है। हालांकि, कमजोर बहुमत के बावजूद भारत के विकास की रफ्तार कायम रहेगी।

रेटिंग एजेंसी फिच का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को कमजोर बहुमत के बावजूद भारत का मध्यम अवधि का विकास प्रदर्शन 2027-28 तक हमारे अनुमान 6.2 फीसदी के आसपास रहेगा। बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने के लिए जारी सार्वजनिक पूंजीगत खर्च अभियान, डिजिटलीकरण के उपायों, महामारी से पहले की स्थिति की तुलना में बैंक और कॉरपोरेट बैलेंसशीट में सुधार से निजी निवेश के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण की सुविधा मिलनी चाहिए। वहीं, मूडीज ने मोदी के तीसरे कार्यकाल में कमजोर नीतियों को लेकर आशंकाओं को दरकिनार करते हुए कहा, भारत के ऊर्जा क्षेत्र में विकास जारी रहेगा। अक्षय ऊर्जा और बिजली ट्रांसमिशन 6-7 वर्षों में भारत के बिजली क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना जारी रखेगा। इस अवधि में बिजली की मांग सालाना 5-6 फीसदी बढ़ सकती है।