नई दिल्ली । देश में फर्जी सिम कार्ड के जरिए हो रहे फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए दूरसंचार विभाग ने अपनी मुहिम तेज कर दी है। विभाग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ‘एआईÓ तकनीक का इस्तेमाल करेगा, जो एक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगी। इस नई प्रणाली से न केवल फर्जी दस्तावेजों के जरिए सिम खरीदना असंभव हो जाएगा, बल्कि मौजूदा यूजर्स के सिम कार्ड भी पहले से ज्यादा सुरक्षित होंगे।
दूरसंचार विभाग ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर यह जानकारी साझा करते हुए बताया, सिम फ्रॉड के खिलाफ भारत का फेक शील्ड। नकली या फर्जी दस्तावेजों से मोबाइल सिम के दुरुपयोग को रोकने के लिए, दूरसंचार विभाग ने ्रस्ञ्जक्र विकसित किया है, जो भारत के टेलीकॉम इकोसिस्टम को सुरक्षित, स्मार्ट और धोखाधड़ी-रोधी बना रहा है। विभाग ने इसे प्रौद्योगिकी के साथ-साथ विश्वास, पारदर्शिता और सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
विभाग के अनुसार, एक अत्याधुनिक टूल है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिकग्निशन यानी चेहरे की पहचान पर काम करता है। जब भी कोई नया सिम जारी होगा या पुराने को वेरिफाई किया जाएगा, तो यह टूल यूजर के चेहरे का मिलान उसके द्वारा दिए गए दस्तावेज की फोटो से करेगा। अगर किसी ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया है, तो ्रढ्ढ इस गड़बड़ी को तुरंत पकड़ लेगा और वेरिफिकेशन फेल होने पर सिम कार्ड को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
इस तकनीक के जरिए पूरे सब्सक्राइबर डेटाबेस की जांच की जाएगी और फर्जी पाए गए सभी कनेक्शनों को निष्क्रिय कर दिया जाएगा। सरकार का यह कदम बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने में बेहद कारगर साबित होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में सरकार ने साइबर अपराध में इस्तेमाल हो रहे 4.2 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शनों को ब्लॉक किया है। इन नंबरों का इस्तेमाल आम लोगों को कॉल या मैसेज के जरिए ठगने के लिए किया जा रहा था। ‘संचार साथीÓ पोर्टल पर मिली शिकायतों के आधार पर यह बड़ी कार्रवाई की गई थी।
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