रायपुर। बेमेतरा जिले के एक छोटे से गांव मूरता में 8 मई की दोपहर कुछ खास थी, गर्मी की तपिश के बीच पंचायत भवन में हलचल थी। लोग आए थे उम्मीद लेकर और प्रशासन आया था समाधान लेकर। इन्हीं चेहरों के बीच खड़े थे जितेन्द्र मानिकपुरी, जिनकी आंखों में वर्षों से रुकी एक साधारण सी ख्वाहिश थी निवास प्रमाण पत्र की।

शायद किसी के लिए यह एक सामान्य दस्तावेज हो, पर जितेन्द्र के लिए यह पहचान का पहला कदम था। कई बार कोशिश की, कागज अधूरे निकले, दफ्तर के चक्कर लगे, हर बार निराशा हाथ लगी। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री साय के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे सुशासन तिहार के तहत जब ग्राम मूरता में समाधान शिविर लगा, तो वे चुपचाप पहुंच गए। उम्मीद बहुत नहीं थी, लेकिन मन में एक कोना फिर भी भरोसे से भरा था।
राजस्व विभाग के स्टॉल पर जैसे ही उन्होंने आवेदन दिया, अधिकारी ने मुस्कराते हुए कहा, यहां देरी नहीं होती, आप तैयार रहिए। मोबाइल पर ऑन-द-स्पॉट जांच हुई, दस्तावेज सत्यापित हुए और कुछ ही मिनटों में उनके हाथ में वह कागज था, जिसका वर्षों इंतजार उन्होंने किया था। सबसे खास पल वह था जब जिला पंचायत सभापति ने स्वयं उनका नाम पुकारा और निवास प्रमाण पत्र सौंपा। उस पल जितेन्द्र की आंखें नम हुई पर चेहरा मुस्कान से भरा था।