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आरबीआई के यथार्थवादी रुख से भारतीय शेयर बाजार में सकारात्मकता बरकरार

by Bhupendra Sahu

मुंबई। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से भारत में सकारात्मक रुख के बीच, भारतीय शेयर बाजार ने पूरे सप्ताह सकारात्मक रुख बरकरार रखा। शनिवार को विशेषज्ञों ने इसका कारण अक्टूबर में कोर सेक्टर के उत्पादन और सेवा पीएमआई आंकड़ों में स्थिरता के संकेतों को बताया।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नरम मौद्रिक नीति की उम्मीद में एफआईआई द्वारा भारत लौटने से भी बाजार की धारणा को समर्थन मिला।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने विकास पूर्वानुमान में संशोधन कर अधिक यथार्थवादी रुख अपनाया है। सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती कर फाइनेंशियल सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के साथ ही आरबीआई ने दोहराया है कि व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
शुक्रवार को बाजार सपाट बंद हुआ। सेंसेक्स 81,709.12 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 24,677.80 पर बंद हुआ। निफ्टी 24,650 के महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल से ऊपर स्थिर बना हुआ है।
सैमको सिक्योरिटीज के तकनीकी विश्लेषक ओम मेहरा ने कहा, प्राथमिक रुझान सकारात्मक बना हुआ है, क्योंकि निफ्टी डोन्चियन चैनल (डोन्चियन द्वारा विकसित बाजार व्यापार में इस्तेमाल किया जाने वाला संकेतक) के ऊपरी बैंड के पास कारोबार कर रहा है, जो उच्च स्तर पर चल रहा है। यह संभावित तेजी का संकेत है।
इसके अतिरिक्त, भारत का अस्थिरता सूचकांक (वीआईएक्स) 15 अंक से नीचे है, जो अस्थिरता में कमी और बाजार में कम भय का संकेत देता है।
निवेशक अब गति वाले शेयरों को इक_ा कर रहे हैं क्योंकि सरकारी पूंजीगत व्यय में अपेक्षित वृद्धि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इन्फ्रा, पूंजीगत सामान, रियल्टी, सीमेंट और धातु उद्योगों को कुछ प्रोत्साहन दे सकती है।
केंद्रीय बैंक द्वारा लिक्विडिटी बढ़ाने के बीच पीएसयू बैंकों ने बेहतर प्रदर्शन किया। बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा कि फरवरी की मौद्रिक नीति बैठक के लिए दृष्टिकोण भी सकारात्मक रहा क्योंकि चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है, जिसे सब्जियों की कीमतों, खरीफ की फसल की आवक और अनुमानित रबी उत्पादन में सुधार से बल मिलेगा।
मुद्रास्फीति, हालांकि थोड़ी अधिक है, लेकिन नियंत्रण में बनी रह सकती है। असित सी मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडिएट्स लिमिटेड के संस्थागत अनुसंधान प्रमुख सिद्धार्थ भामरे ने कहा कि मिट्टी की नमी, जलाशयों का स्तर, मौसमी सर्दियों की सब्जियों की कीमत में सुधार जैसे कारक बताते हैं कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख दिख सकता है, जो चिंता का विषय है।
आने वाले सप्ताह के लिए, बाजार की दिशा अमेरिकी पेरोल और अमेरिकी सीपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़ों के जारी होने से प्रभावित होगी।
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