New Delhi। थाईलैंड के प्रधानमंत्री शेत्ता थाविसिन ने आशा व्यक्त की है कि उथल-पुथल से जूझ रही दुनिया सत्य, सहिष्णुता और सौहार्द्र के हिंदू जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेगी और विश्व में शांति स्थापित हो सकेगी। विश्व में हिन्दुओं की एक प्रगतिशील और प्रतिभासंपन्न समाज के रूप में पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से तीसरे वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस का आज यहां भव्य शुभारंभ हुआ। ‘धर्म की विजय’ के उद्घोष के साथ प्रख्यात संत माता अमृतानंदमयी, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी पूर्णात्मानंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री मिलिंद परांडे तथा कार्यक्रम के संस्थापक-सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद ने दीप प्रज्ज्वलन से सत्रारंभ हुआ।
उद्घाटन सत्र में मेजबान देश के प्रधानमंत्री थाविसिन को भाग लेना था लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं आ सके। सभा में थाई प्रधानमंत्री का संदेश पढ़ा गया। उन्होंने संदेश में कहा कि थाईलैंड के लिए हिन्दू धर्म के सिंद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस की मेजबानी करना सम्मान की बात है। हमारी भारत से भौगोलिक दूरी जो भी है लेकिन हिन्दू धर्म के सत्य और सहिष्णुता के सिद्धांतों का हमेशा से आदर रहा है। आशा है कि आज की इस उथल-पुथल भरी दुनिया सत्य, सहिष्णुता और सौहार्द्र के हिंदू जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेगी और विश्व में शांति स्थापित हो सकेगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि अगर पूरा विश्व सद्भाव चाहता है, तो भारत के बिना यह संभव नहीं है। दुनिया में जो लोग इस दुनिया को एक साथ चाहते हैं, जो एक साथ सबका उत्थान चाहते हैं, वे धर्मवादी हैं। हिंदुओं के प्रति धर्म का दृष्टिकोण वैश्विक धर्म विचारों को जन्म देगा। दुनिया हमारी ओर आशा भरी नजरों से देख रही है और हमें इसे पूरा करना है।’