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इंडियन ऑयल ने पापुआ न्यू गिनी को विशेष एविएशन गैस का निर्यात किया शुरू

by Bhupendra Sahu

नयी दिल्ली । सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी इंडियन ऑयल के अध्यक्ष एस एम वैद्य ने अपराह्न 3.00 बजे मुंबई के जवाहरलाल नेहरू ट्रस्ट के जीटीआई टर्मिनल से पापुआ न्यू गिनी के लिए एविएशन गैस (100 एलएल श्रेण) की पहली निर्यात खेप को झंडी दिखाकर रवाना किया। भारत पहले इस ईंधन का आयात करता था। कंपनी ने कहा कि भारत द्वारा विमान ईंधन के निर्यात करने का यह पहला मौका है। पहले के अपने पहली खेप में 12000 लीटर एविएशन गैस की आपूर्ति की गई है।

इस अवसर पर श्री वैद्य ने कहा, वैश्विक विमानन गैसोलीन बाजार 5 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढऩे का अनुमान है। भारत में विमानन यातायात भी 7 प्रतिशत की दर से बढऩे की संभावना है। इंडियन ऑयल इस 100एलएल विशेषता के उत्पाद के विनिर्माण के साथ इसमें संभावित व्यावसायिक अवसरों का पता लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। बेहतर प्रदर्शन गुणवत्ता मानकों और प्रतिस्पर्धी कीमतों के साथ, इंडियनऑयल का लक्ष्य महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल करना है। भारत में एविएशन गैस 100एलएल का स्वदेशी उत्पादन न केवल आयात पर विदेशी मुद्रा बचाने में मदद करेगा बल्कि नवोदित पायलटों के लिए घरेलू उड़ान संस्थानों में पायलट प्रशिक्षण को किफायती बनाएगा।
भारत में, अभी हाल तक, मुख्य रूप से फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (एफटीओ) और रक्षा बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले इस ईंधन को दशकों तक यूरोपीय देशों से भारी कीमत पर आयात किया जाता था। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारतÓ विजन के तहत, इंडियन ऑयल ने 26 सितंबर, 2022 को वायु सेना स्टेशन, हिंडन में विमानन ईंधन एविएशन गैस 100 एलएल का स्वदेशी उत्पादन शुरू किया और अब इसका घरेलू बाजार में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में इसका उत्पादन इंडियन ऑयल की गुजरात रिफाइनरी से किया जा रहा है। इंडियन ऑयल द्वारा अपनी गुजरात रिफाइनरी में उत्पादित एवगैस 100एलएल का घरेलू उत्पादन भारत और विदेशों में उड़ान प्रशिक्षण को और अधिक किफायती बना देगा।
दक्षिण अमेरिका, एशिया प्रशांत, मध्य पूर्व, अफ्रीका और यूरोप के देशों में एविएशन गैस की काफ़ी अधिक खपत है। इसलिए, भारत से इसका निर्यात करने का एक बड़ा अवसर है।
इंडियनऑयल के एविएशन गैसोलीन का प्रिंसिपल ग्रेड, एवगैस गैस 100 एलएल को रेसिप्रोकेटिंग पिस्टन इंजन एयरक्राफ्ट में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से एफ टी ओ और रक्षा बलों द्वारा पायलटों के प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।
वड़ोदरा में इंडियनऑयल की प्रमुख रिफाइनरी द्वारा उत्पादित इस ईंधन का परीक्षण और प्रमाणन नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा किया गया है, जो भारत में नागरिक उड्डयन को विनियमित करने के लिए भारत सरकार का वैधानिक निकाय है। यह आयातित ग्रेड की तुलना में बेहतर प्रदर्शन गुणवत्ता मानकों के साथ उत्पाद विनिर्देशों को पूरा करने वाला एक उच्च-ऑक्टेन विमानन ईंधन है।
इसकी स्वदेशी उपलब्धता आयात पर निर्भरता कम करने और संबंधित लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेगी। देश इस उत्पाद की घरेलू उपलब्धता से विदेशी मुद्रा बचाने में सक्षम होगा।
इससे पूरे भारत में 35 से अधिक एफटीओ को भी लाभ होगा। नागरिक विमानन मंत्रालय देश में और प्रशिक्षण संस्थान खोलने पर विचार कर रहा है। विमानन यातायात में वृद्धि को देखते हुए प्रशिक्षित पायलटों की आवश्यकता बढऩे की उम्मीद है।
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