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केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने सुजलाम 2.0 अभियान लॉन्च किया

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कल विश्व जल दिवस- 2022 के अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय के पेय जल तथा स्वच्छता विभाग द्वारा वर्चुअल रूप से आयोजित कार्यक्रम में धूसर जल प्रबंधन के लिए सुजलाम 2.0 अभियान लॉन्?च किया। नौ मंत्रालयों- जल शक्ति मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, युवा कार्य तथा खेल मंत्रालय, जनजातीय मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय- ने एक संयुक्त परामर्श पर हस्ताक्षर किए जिसके अंतर्गत कार्यक्रम क्रियान्वयन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के साथ तालमेल के आधार पर धूसर जल प्रबंधन अपने-अपने स्तर पर प्रारंभ करेंगे।
सुजलाम 2.0 अभियान लॉन्च करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस वर्ष का विषय है ‘भू-जल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना।

उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल महत्वपूर्ण बल्कि समय पर प्रारंभ किया गया अभियान है। उन्होंने कहा कि हम भले ही भू-जल को देखने में सक्षम नहीं हैं लेकिन इसका प्रभाव हर जगह दिखता है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण पहलू पर फोकस करने के लिए उनके मंत्रालय ने जल-भागीदारी के माध्यम से धूसर जल प्रबंधन के उद्देश्य से सुजलाम 2.0 प्रारंभ कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के अंतर्गत हमारी योजना समुदायों, पंचायतों, स्कूलों, आंगनवाड़ी जैसे संस्थानों को संगठित करना है ताकि धूसर जल प्रबंधन कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि धूसर जल का बेहतर प्रबंधन उसी स्थान पर किया जा सकता है जहां से यह उत्पन्न होता है और यदि यह एकत्रित होता है और रुका रहता है तो इसे बड़े प्रबंधन और अवसंरचना चुनौती में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पीआरआई घर और सामुदायिक सूखने वाले गड्ढ़े बना कर सर्वाधिक उचित स्तर पर धूसर जल प्रबंधन सुनिश्चित करेंगे।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, धूसर जल प्रबंधन के काम को लागू करने के लिए धन एसबीएम-जी फेस चरण-2 या 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदान या एमजीएनआरईजीएस या सभी के मेलजोल के माध्यम से जुटाया जाएगा। इस अभियान में लोग सामूहिक रूप से स्थिति का आकलन करेंगे, योजना बनाएंगे और धूसर जल प्रबंधन गतिविधियों को लागू करेंगे। धूसर जल प्रबंधन के महत्व को लोकप्रिय बनाने के लिए आईईसी के प्रयास तथा राज्य जिला और स्थानीय स्तर पर सामूहिक सामुदायिक कार्य राज्य, जिला तथा स्थानीय स्तर पर शुरू किया जाएगा। मैं अपने सभी पीआरआई तथा वीडब्ल्यूएससी सदस्यों, स्वच्छाग्राहियों, स्वयं सहायता समूह के नेताओं से स्थानीय स्तर पर सुजलाम 2.0 अभियान तेजी से चलाने का आग्रह करता हूं। यूनिसेफ के जल तथा स्वच्छता प्रमुख निकोलास ऑसबर्ट ने अपने स्वागत भाषण में धूसर जल प्रबंधन पर वैश्विक परिदृश्य को साझा किया। उन्होंने कहा, पूरे विश्व में 2.2 बिलियन लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं। सतत विकास लक्ष्य 6 का उद्देश्य सार्वभौमिक रूप से सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल तथा स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करना है। आज भारत सरकार के अनेक मंत्रालय जल स्रोत को स्थायी बनाने में रोडमैप तैयार करने के लिए एक साथ आए हैं, यह बहुत प्रसन्नता की बात है। सरकार ने धूसर जल प्रबंधन पर ध्यान दिया है। अनुमान के अनुसार भारत में प्रतिदिन 31 बिलियन लीटर धूसर जल निकलता है। जल संरक्षण के लिए स्थायी व्यवहारों को विकसित करने की आवश्यकता है।

पेयजल तथा स्वच्छता विभाग की सचिव श्रीमती विनी महाजन ने भारतीय संदर्भ के बारे में कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हमें नौ मंत्रालयों का समर्थन मिला है क्योंकि बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के साथ प्रत्येक व्यक्ति जल के महत्व और उस पर दबाव को महसूस करता है। अगस्त, 2019 में जल मिशन लॉन्च किए जाने के बाद से इसके अंतर्गत 6 करोड़ नल से पानी के क्नेक्शन दिए गए हैं। देश में कुल 9.24 करोड़ परिवारों को नल से जल मिल रहा है। वर्तमान संदर्भ में ग्रामीण परिवारों से काफी जल निकासी होगी। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि सुजलाम 2.0 अभियान के अंतर्गत 6 लाख गांवों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर गतिविधि तेज होगी। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत बड़ी संख्या में गांव 100 प्रतिशत परिपूर्ण हो गए हैं। जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से पानी का क्नेक्शन देना है, अब गांव में निकले धूसर जल के प्रबंधन पर फोकस करने का समय आ गया है।

जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन विभाग के सचिव पंकज कुमार ने कहा कि भू-जल जलाशय के रूप में काम करता है जिसका इस्तेमाल जरूरत पडऩे पर किया जा सकता है। लेकिन इसे नियमित अंतराल पर भरने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान जल संकट का सामना कर रहे जिलों को कवर करने के लिए 2019 में लॉन्च किया गया था। इसे प्रधानमंत्री द्वारा 2021 में सभी ग्रामीण तथा शहरी जिलों तक ले जाया गया। 2022 में जल शक्ति अभियान 29 मार्च, 2022 को लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि विभाग के अंतर्गत एक दूसरा कार्यक्रम अटल भू-जल योजना है जिसे सात राज्यों के चुनिंदा क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, जिसमें लोग अपनी जल सुरक्षा योजना तैयार करते हैं, इस योजना में इस बात का ब्यौरा होता है कि लोग किस तरह जल प्राप्त कर रहे हैं, जल की खपत कितनी मात्रा में हो रही है, जल संरक्षण के तरीकों को अपनाया जाता है और किस तरह जल के इस्तेमाल को सामान्य बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण घरों से निकलने वाले धूसर जल का उचित प्रबंधन करना होगा अन्यथा इससे बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेन्द्र नाथ सिन्हा ने कहा कि अभियान लागू करते समय पहले के कार्यक्रमों से सीख लेना महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र के जनजातीय जिला नंदुरबार में की गई पहल की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि वहां बड़ी संख्या में गड्ढे खोदे गए थे, जिससे वहां के लोग मलेरिया, डेंगू तथा अन्य जल और मच्छरजनित बीमारी की घटनाओं को कम करने सक्षम हुए। इसके अलावा पर्यावरण और पारिस्थितिकीय लाभ मिला। उन्होंने कहा कि लोगों को इस बारे में संवेदी बनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि नल से जल उपलब्ध होने के बाद बड़े पैमाने पर प्रत्येक घर से जल निकलेगा। हम स्वयं सहायता समूहों से समर्थन चाहते है क्योंकि ये समूह गांव में विकास से जुड़े सामाजिक विषयों से जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि गांव में उठाए गए विषयों को फिर से देखा जाएगा ताकि जल और स्वच्छता की चिंताओं को कवर किया जा सके। उन्होंने बताया कि अभी हमारे पास आठ करोड़ से अधिक महिला सदस्यों का नेटवर्क है, जो अभियान को समर्थन देगा। एमजीएनआरईजीएस अनुसूची 1 पैरा 4 के अंतर्गत गड्ढा बनाने, धूसर जल शोधन के लिए पोखरों को स्थिर बनाने और बड़े पैमाने पर जल निकासी से जुड़े कार्य शुरू किए गए हैं। 23 लाख से अधिक जल सोखने के गड्ढे, 48 लाख ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन ढांचे और एक लाख आंगनवाड़ी केन्द्र शौचालय के साथ बनाए गए हैं। इसके लिए 26,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। एमजीएनआरईजीएस मांग प्रेरित कार्यक्रम है और यदि समुदाय को संवेदी बनाया जाता है तो जल और स्वच्छता से संबंधित कार्य गांव में ही शुरू किए जाएंगे।

महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे ने कहा कि देश में 14 लाख से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र हैं जो पोषाहार और प्रारंभिक बाल देखभाल का काम करते है। इन केन्द्रों में 0-6 वर्ष के आयु समूह के बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं को पूरक भोजन मिलता है। इसमें से 12.23 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों को स्वच्छ पेयजल प्रदान किया गया है और इसका बहुत बड़ा हिस्सा जल जीवन मिशन के अंतर्गत है। इसी तरह 11.02 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों में स्वच्छता की सुविधाएं हैं और इसके प्रमुख कार्य स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत किया गया है। इसने शिशु और मातृ मृत्यु दर कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में 4.68 लाख किचन गार्डन हैं। साफ किए गए धूसर जल का इस्तेमाल इन किचन गार्डन को पानी देने में किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण गतिविधियों की दिशा में व्यवहार परिवर्तन लाने में परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में देश के युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) तथा राष्ट्रीय युवा केन्द्र संगठन (एनवाईकेएस) के कार्यकर्ताओं ने जल संरक्षण पर अतीत में 1.33 लाख गतिविधियां चलाई और समुदाय को संगठित करने के लिए 16.15 लाख गतिविधियां चलाई गई हैं। सुजलाम 1.0 को जन आंदोलन बनाने के लिए 61 लाख युवा नेताओं ने विभिन्न गतिविधियों में भागीदारी की है।

इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा ने कहा कि 36,000 से अधिक जनजातीय गांव हैं जो आकांक्षी जिलों में आते हैं। उनके लिए पेयजल सर्वोच्च प्राथमिकता है और उनका अस्तित्व कृषि तथा वन उत्पाद पर निर्भर है। अनेक आश्रमशालाएं और नवोदय विद्यालय हैं जो जनजातीय आबादी के लिए शिक्षा के केन्द्र हैं। जनजातीय आबादी अधिकतर अपनी जल आवश्यकताओं के लिए प्राकृतिक झरनों पर निर्भर रहती है। उन्होंने कहा कि हम इन झरनों का एक मानचित्र बना रहे हैं और जल संसाधनों को मजबूत बनाने में पेयजल तथा स्वच्छता विभाग के प्रयासों की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि सुजलाम 2.0 अभियान के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों में शामिल होंगे।
स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता विभाग की सचिव अनिता करवाल ने कहा कि सुजलाम 2.0 अभियान के हिस्से के रूप में स्कूलों की न केवल धूसर जल प्रबंधन परिसंपत्तियों के रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका है बल्कि स्कूल जागरूकता सृजन और बच्चों तथा युवाओं के बीच व्यवहार परिवर्तन प्रोत्साहन के लिए केन्द्र हैं क्योंकि स्कूल स्थायी जल और स्वच्छता के लिए एम्बेस्डर के रूप में काम करते हैं।

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