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स्वास्थ्य विभाग की टीम पहली बार पहुंची जंगल… नदी-नाले पार कर नक्सलगढ़ क्षेत्र का गांव पेदाजोजेर

by Bhupendra Sahu

जगदलपुर/बीजापुर। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पहली बार मेगा हेल्थ कैंप का आयोजन घोर नक्सलगढ़ क्षेत्र में किया। इस कैंप के जारिए टीम ने अंदरूनी गांव के लगभग 300 से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य की जांच की। इस दौरान जांच में और भी कई बीमार मरीजों को मौके पर स्वास्थ्य लाभ मिला।

जिले के नक्सलगढ़ गांव पहुंची टीम ने बताया कि यहां मिले गंभीर बीमारी से जूझ रहे कुछ मरीजों को जिला अस्पताल ले जाने की व्यवस्था की गई। इस दौरान मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तहत कई ग्रामीणों की मलेरिया की जांच भी की गई। गांव के 78 ग्रामीणों को कोरोना का टीका लगाया गया।

बता दें कि बीजापुर जिला मुख्यालय से महज 40 किमी दूर ग्राम पंचायत पदमुर अंतर्गत अति संवेदनशील गांव पेदाजोजेर है। इस गांव तक पहुंचना आसान नहीं है। यह धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। शासन-प्रशासन की पहुंच व कई तरह की सुविधाओं से अब तक यह क्षेत्र काफी दूर रहा है।

गुरुवार को जंगल, नदी-नाले और दुर्गम पहाड़ी रास्तों को पार कर पहली बार स्वास्थ्य विभाग की टीम पेदाजोजेर गांव तक पहुंची है। यहां पहुंची टीम की मेहनत रंग लाई। टीम के सभी सदस्यों ने इलाके में हेल्थ कैंप लगा कर लगभग 300 से ज्यादा ग्रामीणों की जांच कर अलग-अलग परेशानियों के लिए अलग-अलग इलाज किया।

मलेरिया मुक्त अभियान में 200 ग्रामीणों की जांच
बीजापुर के बीएमओ डॉ. राजेन्द्र रॉय ने बताया कि, इस हेल्थ कैंप में मलेरिया मुक्त अभियान के अंतर्गत 200 ग्रामीणों की जांच की गई। बीपी के 3 और शुगर के 1 मरीज मिले। गांव में मोतियाबिंद और निमोनिया के 2, एनिमिया के 2, बुखार सर्दी-खांसी के 50, उल्टी-दस्त पेट दर्द के 5 और मलेरिया के कुल 9 पॉजिटिव मरीज मिले हैं।

4 गर्भवती महिलाओं की सेहत की जांच
टीम ने चर्म रोग के 12 मरीजों का उपचार किया गया। गांव की 4 गर्भवती महिलाओं की सेहत की जांच भी की गई। साथ ही बीमार मरीजों को मौके पर ही दवाइयों का वितरण किया गया और स्वास्थ्य संबंधी परामर्श दिए गए। पेदाजोजेर गांव के ग्रामीण अब तक विभिन्न बीमारियों का गांव के सिरहा से ही देसी इलाज करवाते आए हैं।

परंपरागत इलाज पर करते हैं भरोसा
अधिकारी ने बताया कि बहुत कम मरीज अस्पतालों और डॉक्टरों पर निर्भर थे। ज्यादातर लोग देशी जड़ी-बूटी से ही इलाज कराना पसंद करते हैं। इसलिए ग्रामीणों को गंभीर बीमारियों से जल्द छुटकारा नहीं मिलता था। जब स्वास्थ्य विभाग की टीम को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने गांव में हेल्थ कैंप लगाकर ग्रामीणों का इलाज किया।

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