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विशेष लेख : मनरेगा कोरोना काल में जरूरतमंद श्रमिकों का सहारा बनी… जिले में लगभग पौने तीन साल में 3 लाख 10 हजार ग्रामीण श्रमिकों को मिला काम

by Bhupendra Sahu

शशिरत्न पाराशर

महासमुंद / जब कोरोना वायरस कोरोना संक्रमण (महामारी) के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद सी थी, उस वक्त मनरेगा जरूरतमंद ग्रामीण श्रमिकों का सहारा बनी। चाहे ग्रामीण कुशल मजदूर हो या कुशल श्रमिक सभी जरूरतमंदों को काम दिया गया। राज्य सरकार द्वारा कोई बेरोजगार न रहे हर जरूरतमंदों को सूखा राशन दिया गया। कोई भूखा न सोये इस बात का ध्यान रखा गया। महात्मा गॉधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के विभिन्न मानकों पर लॉकडाउन के बावजूद महासमुन्द जिले में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है। इस मामलें में महासमुन्द जिला पूरे छत्तीसगढ़ में आज की तारीख में मनरेगा के श्रमिकों को रोजगार दिलाने आगे हैं। जिले में जरूरतमंद निःशक्तजन ग्रामीण श्रमिकों का भी ध्यान रखा जा रहा है। जिले में 964 ग्रामीण निःशक्तजन श्रमिक पंजीकृत है, उनमें से चालू वित्तीय वर्ष में जिले के 236 निःशक्तजन श्रमिकों को 4713 मानव दिवस का रोजगार मुहैया कराया गया है।

वहीं जनवरी 2019 से अब तक (20 सितम्बर 2021) तक की बात करें तो इस अवधि में 385709 लक्षित हितग्राहियों में 309996 ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया। इस पर मजदूरी और निर्माण सामग्री के रूप में 409 करोड़ 50 लाख 73 हजार का व्यय हुआ। हितग्राहियों को 223 लाख 50 हजार मानव दिवस के सृजित रोजगार में 343 करोड़ 74 लाख 31 हजार रूपए भुगतान हुआ। वहीं चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में चालू सितम्बर माह तक 204453 ग्रामीण श्रमिकों को 37 लाख 73 हजार मानव दिवस का रोजगार मुहैया कराया गया। इन्हें 93 करोड़ 57 लाख 76 हजार का मजदूरी, निर्माण सामग्री आदि पर व्यय किया गया। मनरेगा के तहत् ग्रामीण श्रमिकों को चालू माह मिलाकर 6 माह में 73 करोड़ 97 लाख का भुगतान किया गया।
लॉकडाउन के चलते कोरोना गाईड लाईन का पालन करते हुए पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले की 549 ग्राम पंचायतों में 1467 काम चल रहे थे। इनमें नया तालाब, तालाब गहरीकरण, डबरी निर्माण, मत्स्य पालन तालाब, भूमि सुधार, मेढ़ बंधान, नाला जीर्णोद्धार आदि काम चल रहें है। इस अवधि में कार्यों में डेढ़ करोड़ से ज्यादा ग्रामीण श्रमिकों को काम मिला। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में चालू सितम्बर माह तक मनरेगा के विभिन्न कार्यों में 204453 ग्रामीण मजदूरों को काम मिला है।

महासमुन्द जिले की हर ग्राम पंचायत के प्रत्येक गांव में सभी वर्ग श्रेणी के मजदूर जो जॉबकार्डधारी है। उनके परिवार को 150 दिन का रोजगार और वन पट्टाधारियों को 50 दिवस का अतिरिक्त रोजगार प्रदान करने का प्रयास लगातार जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री आकाश छिकारा द्वारा किया जा रहा है। इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है। महासमुन्द जिला आज की तारीख में ग्रामीण, जरूरतमंद परिवारों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है। चालू वर्ष में अब तक 204453 श्रमिकों को 37 लाख 73 हजार मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। सरकार द्वारा जरूरतमंद ग्रामीण परिवारों को 100 दिन के काम का वैधानिक अधिकार दिया है। वर्ष 2005 में बनी ये योजना एक कानून के तहत् संचालित होती है। यह कानून कहता है कि हितग्राही के काम मांगने पर 15 दिनों के भीतर रोजगार दिया जाएगा। मनरेगा योजना पर्यावरण को बेहतर करने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
प्रत्येक जॉब कार्ड परिवार को न्यूनतम 100 दिवस रोजगार देने पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही नए जॉब कार्ड हेतु आवेदन ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत में दिया जा सकता है। साथ ही मजदूर द्वारा कार्य की मांग का मांग पत्र ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, जिला पंचायत में जमा करके 15 दिवस के भीतर कार्य पा सकते हैं। यदि किसी को महात्मा गांधी नरेगा में मांग अनुसार 15 दिन में कार्य नहीं दिया जाता है तो तत्काल जिला पंचायत के टोल फ्री नंबर 18002336601 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है।
जिले में मनरेगा के तहत निर्माण कार्यो में मजदूरी करने वाली 13 गर्भवती महिलाओं को एक महीने के मातृत्व भत्ते के साथ प्रसूति अवकाश दिया गया है और इसी पिछले वित्तीय वर्ष में 18 महिलाओं को मातृत्व भत्ता दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि यदि किसी अन्य को इसमें आवेदन करना हो तो वो भी जनपद पंचायत के मनरेगा शाखा को दे सकते हैं। मनरेगा में यह राज्य पोषित योजना है। इसमें होने वाले खर्च का प्रावधान बजट में किया जाता है। प्राप्त आवेदन अनुरूप मातृत्व भत्ता प्रदाय किया गया एक माह की रोजी 190 रुपए प्रति कार्य दिवस के हिसाब से 5700 रुपए मातृत्व भत्ते के रूप में दिए गए है, ताकि बच्चे और माँ दोनों स्वस्थ रहे और सेहत दोनों की बनी रहे।

इसके अलावा हितग्राहियों के लिए डबरी मछली पालन तालाब, नया तालाब, तालाब गहरीकरण, नहर जीर्णोद्धार, लूज बोल्डर, बोल्डर चेक डेम, गेबियन संरचना जैसे जल से संबंधित कार्य को प्राथमिकता छोटे वर्ग के किसान अपनी भूमि और नालों पर अधिक उपजाऊ बनाने हेतु कार्य योजना तैयार कर कार्य कर सकते है। अपने खेत में जल संरक्षण, संवर्धन कार्यो, फलदार वृक्षारोपण कार्य दिए जा सकते हैं। आवेदन ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत अथवा जिला पंचायत में अपने जॉब कार्ड के छाया प्रति के साथ दिया जा सकता है। महात्मा गांधी नरेगा का है एक ही नारा, प्रत्येक जॉब कार्ड को 100 दिन रोजगार प्रदाय करना है कर्तव्य हमारा।

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