नईदिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और ग्लोबल हब बनाने के लिए कंपनियों नई स्कीम की शुरुआत की है. इसी का नाम प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) है. अब खबरें आ रही है कि ऑटो और ऑटो कंपोंनेट के लिए पीएलआई स्कीम में जल्द बदलाव हो सकते है. 2 सितंबर को हुई ईएफसी ने इसे मंजूरी दे दी है. ऑटो सेक्टर के लिए पीएलआई में बदलाव को मंजूरी. 2 सितंबर को ईपीसी की बैठक में मिली मंज़ूरी. निवेशकों के लिए पीएलआई शर्तों को आसान बनाया गया है. प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है.एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इकोनॉमी का पहिया तेज घुमाने सरकार मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. इसी की तहत पीएलआई स्कीम को बढ़ावा दिया जा रहा है.मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार की संभावना ज्यादा है इसलिए पीएलआई स्कीम पर सरकार का पूरा जोर है.
मुताबिक ऑटो सेक्टर के लिए 57,000 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक क्करुढ्ढ स्कीम को जल्द कैबिनेट से मंज़ूरी जल्द मिल सकती है. आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर कल हुई अहम बैठक कैबिनेट सचिव की अगुवाई में पहले बैठक हो चुकी है. इसमें एनआईटीआई आयोग, उद्योग और वित्त मंत्रालय से संबंधित अहम लोग शामिल थे. सरकार के इस योजना से देश में ऑटो क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और बड़े पैमाने पर नौकरियों के अवसर बनेंगे. साथ ही देश में व्यापक लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
2025-26 तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में दोगुने एक्सपोर्ट की संभावना है। अभी 19 अरब डॉलर की व्हाकल्स और 30 अरब डॉलर के ऑटो कंपोनेंट्स का एक्सपोर्ट हो रहा है. सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि इससे 40 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे. इससे 1.95 लाख करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट होगा . ऐसे में कुल 17000 करोड़ रुपये का टैक्स रेवेन्यू पैदा होगा. सरकार इसके जरिए भारत को दुनिया के टॉप 3 स्मार्टफोन उत्पादक देशों में शामिल करना चाहती है.
रिसर्च फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीकॉम मैन्युफैक्चिरिंग में पीएलआई की घोषणा बड़ा कदम है. इससे देश में स्थानीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को 4 से 6 फीसदी की टैक्स छूट मिल सकती है. 1.46 लाख करोड़ रुपये के दूसरे पीएलआई इन्वेस्टमेंट से लगभग 62 फीसदी निवेश कार, बैटरी और दवा बनाने पर होगा. सरकार के लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिशों का सबसे ज्यादा फायदा इलेक्ट्रिक कार, बैटरियां, फूड प्रोसेसिंग और कपड़े बनाने वाली कंपनियों को होगा.