Home » मैनप्रसाद के निजी भूमि पर मनरेगा की डबरी बनी आजीविका का नया साधन

मैनप्रसाद के निजी भूमि पर मनरेगा की डबरी बनी आजीविका का नया साधन

by Bhupendra Sahu

कोरिया कोरिया जिले की बैकुंठपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत केनापारा गांव में किसान मैनप्रसाद और उनका परिवार परंपरागत रूप से केवल एक फसलीय कृषि पर निर्भर थे। मैनप्रसाद की पत्नी श्रीमती तारा राजवाडे़ मां सरस्वती स्वयं सहायता समूह के सदस्य के तौर पर आजीविका मिशन बिहान के समूह से जुड़ी हुई थी।

अक्सर समय पर बारिश न होने के कारण उनकी फसलें खराब हो जाती थीं, जिससे आजीविका सुरक्षित नहीं थी। सिंचाई और घरेलू उपयोग (निस्तार) के लिए पानी की गंभीर आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इस समस्या के समाधान के लिए, आवेदक की मांग पर ग्राम पंचायत द्वारा एक आजीविका डबरी का प्रस्ताव जनपद पंचायत के माध्यम से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत “आजीविका डबरी निर्माण कार्य“ स्वीकृति हेतु जिला कार्यालय को प्रेषित किया गया।

ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर दो लाख दस हजार की लागत से ग्राम पंचायत केनापारा को निर्माण एजेंसी बनाकर गत वित्तीय वर्ष में डबरी निर्माण कार्य की स्वीकृति प्रदान की गई। ग्राम पंचायत ने तत्परता दिखाते हुए डबरी निर्माण कार्य को जल्द ही पूर्ण कराया। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य जल संचयन के माध्यम से स्थायी आजीविका के नए साधन सृजित करना था।

इस डबरी में जल संरक्षण अंतर्गत जलभराव क्षमता लगभग 1354 घनमीटर है, जिससे पानी मई-जून के शुष्क महीनों तक उपलब्ध रहता है। इससे किसान मैनप्रसाद को अब अपनी लगभग 02 एकड़ ज़मीन की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है।

पानी की उपलब्धता से अब किसान एक-फसलीय कृषि की जगह रबी और खरीफ दोनों प्रकार की खेती कर रहे हैं। वे सब्जियों की विविध किस्में जैसे सफेद करेला, पीला तरबूज, ब्रोकली, शलजम, चुकंदर, गाजर, मक्का, आलू और प्याज उगा रहे हैं, जिससे उनकी पारिवारिक आय में वृद्धि हो रही है।

महिला सशक्तिकरण (मत्स्य पालन) मां सरस्वती स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए आजीविका का एक नया साधन सृजित हुआ है। वे अतिरिक्त व्यवसाय के तौर पर डबरी में मत्स्य पालन का कार्य सफलतापूर्वक कर रही हैं।

Share with your Friends

Related Articles

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More