रायपुर छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के तीसरे दिन भी भारी संख्या में रही लोगों की भीड़। राज्य सरकार के श्रम विभाग की विशेष प्रदर्शनी ने लोगों के मन में विशेष आकर्षण एवं उत्साह पैदा किया है। श्रम विभाग की प्रदर्शनी में राज्य के श्रमिकों की मेहनत, विकास और सरकारी नीतियों के समन्वय की कहानी को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया है।
श्रमिकों के अधिकार, सुरक्षा और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता
राज्य गठन के बाद से श्रम विभाग ने श्रमिकों के अधिकार, सुरक्षा और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की योजनाओं के माध्यम से लाखों श्रमिक परिवारों को शिक्षा सहायता, स्वास्थ्य सुविधा, मातृत्व लाभ और पेंशन का लाभ मिल रहा है।
स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिए श्रम विभाग की विशेष पहल
सरकार की श्रम नीतियाँ पारदर्शी और तकनीक-संवर्धित रही हैं। ई–श्रम पोर्टल के माध्यम से अब असंगठित क्षेत्र के श्रमिक भी आसानी से योजनाओं से जुड़ पा रहे हैं। महिला श्रमिकों के कौशल विकास, सुरक्षित कार्यस्थल और स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहलें की गई हैं।
बाल श्रम उन्मूलन, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सृजन प्राथमिकता में
प्रदर्शनी में डिजिटल डिस्प्ले और दृश्य सामग्री के ज़रिए श्रमिक सशक्तिकरण की इस 25 वर्षीय यात्रा को जन–जन तक पहुँचाया जा रहा है। बाल श्रम उन्मूलन, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सृजन जैसे विषयों को भी प्रमुखता से स्थान दिया गया है।
अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना
श्रम विभाग के अंतर्गत ‘अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना’ के माध्यम से मंडल में 01 वर्ष पूर्व पंजीकृत निर्माण श्रमिक के प्रथम 02 संतानों को कक्षा 6वीं में प्रवेश दिया जाकर कक्षा 12वीं तक श्रेष्ठ आवासीय विद्यालयों में गुणवत्तायुक्त निःशुल्क शिक्षा प्रदान किया जाता है।
मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निःशुल्क कोचिंग सहायता योजना
इस योजना में चयनित कोचिंग संस्थानों के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का निशुल्क कोचिंग प्रदान किया जाता है।
“मेहनत का मान” और “श्रमिक के सम्मान” का प्रतीक
राज्योत्स्व स्थल में आए आगंतुकों ने कहा कि यह प्रदर्शनी केवल सरकारी योजनाओं का प्रदर्शन नहीं, बल्कि “मेहनत का मान” और “श्रमिक के सम्मान” का प्रतीक है। 25 वर्षों में श्रम विभाग ने छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को विकास की धारा में अग्रणी बनाकर सशक्त राज्य की नई पहचान गढ़ी है।