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केंद्र ने लेनदेन के लिए यूपीआई के साथ ऑन-डिवाइस ऑथेंटिकेशन जैसे नए फीचर्स किए पेश

by Bhupendra Sahu

मुंबई । केंद्र सरकार ने मंगलवार को डिवाइस पर बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ यूपीआई, यूपीआई में आधार-आधारित चेहरा प्रमाणीकरण और यूपीआई कैश पॉइंट्स पर यूपीआई का इस्तेमाल कर माइक्रो-एटीएम के माध्यम से नकद निकासी जैसे सुविधाओं को पेश किया। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव, श्री एम. नागराजू, ने आज ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल (जीएफएफ) 2025 में तीन नए डिजिटल फीचर लॉन्च करने की घोषणा की।
डीएफएस सचिव एम. नागराजू द्वारा लॉन्च किया गया, यूपीआई के लिए ऑन-डिवाइस प्रमाणीकरण ग्राहकों को यूपीआई पिन मैन्युअल रूप से दर्ज करने के विकल्प के रूप में अपने स्मार्टफोन के अंतर्निहित सुरक्षा विकल्पों जैसे फिंगरप्रिंट या फेस अनलॉक के माध्यम से सीधे यूपीआई पेमेंट को प्रमाणित करने में सक्षम बनाता है। यह सुविधा उन ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगी जो इसे चुनना चाहते हैं, जिससे उन्हें प्रमाणीकरण के अपने पसंदीदा तरीके पर नियंत्रण मिलेगा। इसका उद्देश्य बार-बार पिन दर्ज करने की आवश्यकता को कम कर भुगतानों को तेज और अधिक सुरक्षित बनाना है। प्रत्येक लेनदेन को जारीकर्ता बैंक द्वारा मजबूत क्रिप्टोग्राफिक जांच का इस्तेमाल कर स्वतंत्र रूप से सत्यापित किया जाता है, जिससे अनुभव सरल और सहज रहते हुए उच्चतम स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
यूपीआई में आधार आधारित फेस प्रमाणीकरण उपयोगकर्ताओं को यूपीआई ऐप्स में सीधे अपना यूपीआई पिन सेट या रीसेट करने का एक नया और सुरक्षित तरीका प्रदान करता है। अब तक, यूपीआई पिन बनाने के लिए डेबिट कार्ड डिटेल्स दर्ज करना या आधार ओटीपी वेरिफिकेशन से गुजरना पड़ता था। यूपीआई पिन के लिए आधार आधारित फेस प्रमाणीकरण के साथ, ऑनबोर्डिंग तेज, सरल और अधिक समावेशी हो गई है। यह समाधान आधार-आधारित चेहरे के सत्यापन के लिए यूआईडीएआई के ‘फेसआरडी ऐपÓ का लाभ उठाता है, जिससे कई ओटीपी या कार्ड विवरणों को प्रबंधित करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और सुविधा व सुरक्षा दोनों बढ़ जाती है।
बाद में अतिरिक्त प्रमाणीकरण वाले लेनदेन के लिए भी इसे लागू किया जाएगा। डीएफएस सचिव ने यूपीआई कैश पॉइंट्स पर माइक्रो एटीएम के माध्यम से नकद निकासी के लिए एक नए माध्यम के रूप में यूपीआई की भी शुरुआत की। छठे ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) 2025 के साइडलाइन में मीडिया से बातचीत करते हुए एम. नागराजू ने कहा कि यूपीआई ग्लोबल स्तर पर 50 प्रतिशत डिजिटल भुगतानों को संचालित करता है। यूपीआई के विकास के बावजूद भी आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पूरे समुदाय को फॉर्मल फाइनेंशियल सिस्टम में लाना सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। नागराजू ने कहा, कई जगहों पर हमें इंटरनेट की भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, ऑफलाइन ट्रांजैक्शन, ग्रामीण लेनदेन एक चुनौती है।
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से होने वाले ट्रांजैक्शन पर शुल्क लगाने को लेकर नागराजू ने सरकार की ओर से दोहराया कि शुल्क लगाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने जीएसटी सुधार को लेकर जोर देते हुए कहा कि कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां अपने कारोबार का विस्तार करने की योजना बना रही हैं। जबकि कुछ कंपनियां कमीशन कम कर रही हैं। इसलिए, हर कंपनी अपनी क्षमता के अनुसार अपनी बिजनेस प्लान डिजाइन करेगी। उन्होंने कहा, एक बात तो तय है कि सभी बीमा कंपनियों, चाहे वे सार्वजनिक क्षेत्र की हों या निजी क्षेत्र की, सभी ने जीएसटी के जरिए बीमा लागत कम कर दी है। क्योंकि जीएसटी शून्य हो गया।
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