ग्राम स्तर पर मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता का आकलन कर विकास गतिविधियां की जाएं संचालित
त्यौहारों से पहले सभी गांवों में साफ-सफाई सुनिश्चित हो
नगरों के नजदीकी ग्रामों और ग्राम पंचायतों में अधोसंरचना विकास प्रबंधन की करें विशेष व्यवस्था
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में देश में मध्यप्रदेश अव्वल
जिन स्व-सहायता समूहों के सभी सदस्य लखपति हैं, उन्हें रोल मॉडल के रूप में किया जाए प्रस्तुत
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पंचायतें सामाजिक-आर्थिक जीवन स्तर के उन्नयन का प्रभावी माध्यम हैं। शासन की कल्याणकारी योजनाओं और विकास गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन में पंचायतराज संस्थाओं की सक्रिय सहभागिता और उनकी व्यवस्थाओं में पारदर्शिता आवश्यक है। प्रदेश की सभी पंचायतों में सभी लोगों को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता का आकलन कराते हुए विकास गतिविधियां संचालित की जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि त्यौहारों से पहले सभी गांवों में साफ-सफाई सुनिश्चित करें। साथ ही धार्मिक पर्वों पर होने वाले भंडारों और धार्मिक आयोजनों को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने में ग्राम पंचायतें पहल करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंगलवार को मंत्रालय में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रमों और योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल, पंचायत और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री श्रीमती राधा सिंह, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए हों गतिविधियां संचालित
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ग्राम स्तर की जरूरतों, प्राथमिकताओं और सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के उद्देश्य से स्थानीय स्तर पर सहभागी नियोजन और योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन आवश्यक है। स्थानीय स्तर पर कार्य कर रहे पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मचारियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए भी गतिविधियां संचालित की जाएं। प्रदेश में हो रहे नगरीय विस्तार को देखते हुए नगरों के पास के ग्रामों और ग्राम पंचायतों में अधोसंरचना विकास प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की जाए।
स्वावलंबी गौशालाओं के प्रबंधन का दस्तावेजीकरण किया जाए
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बन रहे आवासों का निर्माण जलवायु की अनुकूलता और ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव का आकलन करते हुए किया जाए। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बन रहे पीएम आवास काडिजाइन ऐसा हो, जिससे इनकी विशेष पहचान बनी रहे। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी रूप में संचालित हो रही गौशालाओं के प्रबंधन का दस्तावेजीकरण किया जाए तथा अन्य जिलों के गौशाला संचालक भी स्वावलंबी प्रबंधन प्रक्रिया का अनुसरण करें। गौशालाओं के प्रबंधन को धार्मिक संस्थाओं और समाज की दान-पुण्य गतिविधियों से जोड़ा जाए। इसके साथ ही जिन स्व-सहायता समूहों के सभी सदस्य लखपति हैं, उन समूहों को प्रदेश में रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाए। स्व-सहायता समूहों की गतिविधियों को एमएसएमई तथा बड़े उद्योग समूहों से जोड़ने की दिशा में भी प्रयास हो।
परम्परागत आवास निर्माण तकनीकों का कराया रहा रहा है अध्ययन
बैठक में मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, मनरेगा, आजीविका मिशन, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत संचालित गतिविधियों और उनकी प्रगति पर विचार-विमर्श हुआ। बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना के अंतर्गत आवास पूर्णता में देश में प्रदेश प्रथम स्थान पर है। योजना के अंतर्गत स्वीकृत 49 लाख 42 हजार आवासों में से 39 लाख 5 हजार आवास पूर्ण हो गए हैं। योजना के अंतर्गत निर्मित हो रहे आवास स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बने, इस उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न अंचलों में आवास निर्माण के लिए प्रचलित परम्परागत तकनीकों का भी अध्ययन स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्टिटेक्चर द्वारा कराया गया है। जल गंगा संवर्धन अभियान सहित जल संरक्षण कार्यों में सामूहिक भागीदारी के बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। वार्षिक लेबर बजट के अंतर्गत आवास कार्यों से 324 लाख मानव दिवस सृजित किए गए। जल गंगा संवर्धन अभियान से 350 लाख मानव दिवस सृजित करते हुए 826 करोड़ रूपए की मजदूरी का भुगतान किया गया। मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति परिवारों को रोजगार देने में देश में प्रथम स्थान पर है।