नई दिल्ली। भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई मई 2025 में अप्रैल में 3.16 फीसदी से घटकर 2.82 फीसदी हो गई, जो फरवरी 2019 के बाद से सबसे कम महंगाई है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आंकड़ों को जारी किया है.
खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों और दालों की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट के बीच यह नरमी आई है. और भारतीय परिवारों के लिए जीवन-यापन की लागत में कमी आने का संकेत है.

महंगाई दर में अप्रत्याशित गिरावट आई है, जो महीने-दर-महीने 34 आधार अंक मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के कारण है, जो अक्टूबर 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर, केवल 0.99 फीसदी पर आ गई.
मुख्य खाद्य पदार्थों में, सब्जियों की कीमतों में साल-दर-साल 13.70 फीसदी की गिरावट आई, जबकि दालों में 8.22 फीसदी की गिरावट आई, और अनाज की कीमतों में भी कमी आई. फ्यूल और प्रकाश श्रेणी में महंगाई में कमी आई और यह 2.78 फीसदी पर आ गई, जिससे ऊर्जा लागत में गिरावट का रुझान जारी रहा.
आवास महंगाई थोड़ी बढ़कर 3.16 फीसदी हो गई, लेकिन शिक्षा (4.12 फीसदी), स्वास्थ्य सेवा (4.34 फीसदी) और परिवहन (3.85 फीसदी) स्थिर रहे, जिससे आवश्यक सेवा क्षेत्रों में दबाव जारी रहा. हालांकि, खाद्य और ऊर्जा में तेज गिरावट के कारण समग्र सीपीआई में उनका योगदान सीमित रहा.
मई में घटकर 2.59 फीसदी रह गई, जो अप्रैल में 2.92 फीसदी थी, जबकि शहरी महंगाई घटकर 3.07 फीसदी रह गई, जो 3.36 फीसदी थी. ग्रामीण खाद्य महंगाई घटकर 0.95 फीसदी रह गई, जो शहरी महंगाई के 0.96 फीसदी से काफी मेल खाती है.
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