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बख्शी जी के संस्मरणों से होती है आत्मगौरव की अनुभूति : आचार्य शर्मा

by Bhupendra Sahu

भिलाई। हमें अपने पूर्वजों, महापुरुषों और उनके साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्मरणों से स्वाभिमान और आत्मगौरव की अनुभूति होती है। जिस देश-समाज की किसी पीढ़ी में यदि ऐसी सोच नहीं होती तो उसका विनाश प्राय: निश्चित है। इसलिये मरण से बचना है तो गौरवों का स्मरण करो। संस्कृति के पुरोधा साहित्य सर्जक एवं पत्रकार , साहित्य वाचस्पति डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी पर केन्द्रित यह संस्मरण समारोह एक आदर्श और अनुकरणीय आयोजन है।

ये उद्गार हैं इस्पात नगरी के साहित्य संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ. महेश चन्द्र शर्मा के। वे कायस्थ समाज द्वारा दिग्विजय कालेज राजनांदगांव में आयोजित उक्त समारोह में विशेष आमंत्रित वक्ता के रूप में साहित्य प्रेमियों की सभा को सम्बोधित कर रहे थे। देश – विदेश के अनेक सफल शैक्षणिक और साहित्यिक भ्रमण कर चुके आचार्य डॉ.शर्मा ने आगे कहा कि खैरागढ़ – राजनांदगांव के डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने बनारस के सेन्ट्रल हिन्दू कालेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की और नांदगांव में संस्कृत शिक्षक के रूप में सेवा शुरू की। अन्य साहित्यकारों के समान संस्कृत पृष्ठभूमि ने उन्हें प्रसिद्ध साहित्यकार बनाया। इधर अंग्रेजी साहित्य और पत्रकारिता के ज्ञान और अनुभव ने उनके व्यक्तित्व का और भी विकास किया।

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