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रुपया ही नहीं अन्य करेंसी भी… वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया रुपये की कमजोरी का कारण

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली । डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। गुजरात के अहमदाबाद में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था और डॉलर की स्थिति मजबूत होती है, तो उसके मुकाबले रुपये में उतार-चढ़ाव आता है। वित्त मंत्री ने कहा, इसके विपरीत, येन और यूरो के मुकाबले रुपया; हमारी आर्थिक स्थिति, विदेशी मुद्रा भंडार, मुद्रास्फीति, और आर्थिक मजबूती को देखते हुए स्थिर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले, न सिर्फ रुपया बल्कि अन्य मुद्राओं में उतार-चढ़ाव और अधिक है। वैश्विक परिवेश में अनिश्चितता बढ़ रही है। ईरान और इस्राइल के बीच तनाव बढऩे से पश्चिम एशिया में चुनौतीपूर्ण हालात बने हैं। यही वह क्षेत्र है जहां से सिर्फ हमारी ही नहीं पूरी दुनिया का क्रूड ऑयल निकलता है, इससे ग्लोबल इकोनॉमी में उतार-चढ़ाव बढ़ा है। भारत को विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए आकर्षक गंतव्य बनाने की हो रही कोशिश
अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की ओर से अपनी भारत यात्रा स्थगित करने से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र ने भारत को विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए नीतियां तैयार की हैं और इसका मकसद न केवल घरेलू बाजार बल्कि निर्यात के लिए भी उत्पादन करना है।
उन्होंने कहा, निवेश आकर्षित करने के लिए नीतियां बनाई गई हैं। हम चाहते हैं कि विनिर्माता और निवेशक यहां आएं और न केवल भारत के लिए नहीं बल्कि निर्यात के लिए भी उत्पादन करें। हम नीतियों के जरिये विनिर्माणकर्ताओं और निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश करेंगे। टेस्ला के सीईओ मस्क ने शनिवार को कहा कि कंपनी की भारी जिम्मेदारियों के कारण उनकी भारत यात्रा में देरी हो रही है।
वित्त मंत्री ने कहा, जब बड़ी कंपनियां भारत आने में दिलचस्पी दिखाएंगी तो हम उनके लिए यहां आकर निवेश करना आकर्षक बनाने की हर संभव कोशिश करेंगे। उस प्रक्रिया में, यदि चर्चा करने के लिए कुछ है, तो हम निश्चित रूप से चर्चा करेंगे। लेकिन हमने जो कुछ किया है, उसे नीतियों के तहत से किया है।
उन्होंने कहा कि जब चीन प्लस वन कई उद्योग विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बना तो केंद्र सरकार के दृष्टिकोण से मदद मिली। उन्होंने कहा कि नीतियों को इस तरह से तैयार किया गया जिससे भारत को विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए एक आकर्षक स्थान बनाया जा सके।
मोदी सरकार के दौरान एक महीने को छोड़कर कभी महंगाई ने टॉलरेंस बैंड के पार नहीं गई
महंगाई पर वित्त मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान एक महीने को छोड़कर कभी भी महंगाई ने टॉलरेंस की बैंड की ऊपरी सीमा को पार नहीं किया जबकि उससे पहले (2014 से पहले) अर्थव्यवस्था बुरी हालत में थी और महंगाई दहाई अंक में थी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, उस समय (2014 से पहले) किसी को देश से कोई उम्मीद नहीं थी। बहुत कठिन परिश्रम के बाद, हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरे हैं और विश्वास के साथ कह रहे हैं कि हम अगले दो से ढाई साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।
देश में रोजगार के मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कही यह बात
रोजगार के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों से सटीक आंकड़ों का अभाव है लेकिन केंद्र की पहल से लाखों नौकरियां सुनिश्चित हुई हैं। उन्होंने कहा, डेटा अपर्याप्त है। मैं इस पर गर्व नहीं कह रही हूं बल्कि इसकी कमजोरी को स्वीकार करते हुए यह कह रही हूं। रोजगार के बारे में मैं इतना ही कह सकती हूं कि लोगों और स्टार्टअप्स को अलग-अलग योजनाओं के जरिए जो पैसा (करोड़ों में ) दिया गया है… लोगों को उससे मदद मिली है। अक्टूबर 2022 से नवंबर 2023 के बीच रोजगार मेलों के जरिए मोदी सरकार ने 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी है।
बड़ी कंपनियों को माल या सेवाएं प्राप्त करने के 45 दिनों के भीतर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को भुगतान करने के नियम के बारे में पूछे जाने पर, सीतारमण ने कहा कि यह कानून 2007-08 से अस्तित्व में है और नया नहीं है।
इससे पहले उन्होंने विकसित भारत-2047 विषय पर गुजरात के उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) के तहत कुल पूंजी का 28 प्रतिशत इस राज्य में आया है, राज्य ने पिछले 10-12 वर्षों में उल्लेखनीय सतर्कता दिखाई है।
भारत के लिए सेमीकंडक्टर विनिर्माण गुजरात में पहले स्थान पर आता है, जिसके पास विकसित भारत 2047 के लिए विनिर्माण की सरकारी नीति और पारिस्थितिकी तंत्र तैयार है। गांधीनगर के गिफ्ट सिटी स्थित आईएफएससी गुजरात में सेवाओं के विकास के लिए एक बड़ा प्रवेश द्वार है। उन्होंने यह भी कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई आकर्षित करने में भी गुजरात तीसरे स्थान पर है।
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