दुर्ग। चुनाव के 6 महीना पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को हराना नामुमकिन माना जा रहा था, उसे चुनाव परिणामों ने झुठला दिया। मोदी का जादू छत्तीसगढ़ में चल गया। छत्तीसगढ़ में सनातनी के साथ मोदी फैक्टर चुनाव में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। पीएम मोदी की कुशल रणनीति जिसे मोदी मैजिक कहा जाता है, छत्तीसगढ़ में अप्रत्याशित परिणाम दे गया। पीएम मोदी ने राज्य में चुनावी रैलियां कर अपने दम पर वोट मांगा । उन्होंने वादा किया कि छत्तीसगढ़ का विकास उनकी गारंटी है । उन्होंने कांग्रेस और खासकर भूपेश बघेल पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए। वैसे भी पीएम मोदी आक्रामक चुनाव प्रचार करते हैं । छत्तीसगढ़ में पहले ही रैली में उन्होंने यह कहकर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली कि छत्तीसगढ़ की जनता को भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण का न्योता देने आए हैं । भाजपा ने पीएम मोदी की छत्तीसगढ़ में पांच सभाएं दुर्ग, विश्रामपुर , मुंगेली और महासमुंद इलाके में करवाया ।
उन सभी 6 विधानसभा सीटों में बीजेपी जीती भी। विश्रामपुर के दतिया में हुई सभा के जरिए भाजपा ने भाजपा और प्रेम नगर सीट को भी साधा। इस तरह से देखें तो पीएम मोदी की सभाओं का सक्सेस रेट बम्फर रहा। बीजेपी का वोट प्रतिशत 2018 में 32.97 प्रतिशत था, जो बढ़कर 40.27 प्रतिशत हो गया। दूसरी ओर कांग्रेस का वोट प्रतिशत 42.23 प्रतिशत रहा।
जानकारों की माने तो बीजेपी के पारंपरिक वोट जो 2018 में 15 साल की सत्ता विरोधी लहर के कारण कांग्रेस की तरफ चले गए थे, इस चुनाव में वापस लौट आए। जनजाति बहुल सरगुजा क्षेत्र में कांग्रेस सभी 14 सीट हार गई। भाजपा 2018 में जीती हुई 15 में 8 सीट बचाने में कामयाब रही। साथ ही साथ उसने कांग्रेस की 43 सीटों को भी अपने खाते में डाल लिया ।
मोदी मैजिक का नतीजा यह रहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को वह कामयाबी मिली जो अब तक के चुनाव में नहीं मिल पाई थी।
-इस चुनाव के मायने
हर चुनाव कुछ सबक दे जाता हैं। हार और जीत चुनाव के दो पहलू है।
2018 में जब कांग्रेस भारी बहुमत से सत्ता में लौटी, तब लोगों में बहुत उम्मीदें थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश सरकार ने एक से बढ़कर एक जन कल्याणकारी निर्णय भी लिया। किंतु समय के साथ सरकार अपने ढर्रे पर आ गई। सरकार के तीन बड़े चेहरे भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू और सिंहदेव के बीच आपसी संबंध सतही हो गए। लोगों ने पूरे 5 साल तक इस बात का एहसास किया कि कांग्रेस के बड़े लीडर भले ही एक मंच पर साथ नजर आते हो , मगर उनके बीच पटरी नहीं बैठ रही है।
दिल्ली कांग्रेस हाई कमान भी छत्तीसगढ़ सरकार के इन नेताओं के बीच सामंजस्य बनाने की बजाय भ्रम ज्यादा पैदा किया । एक सर्वमान्य शीर्ष नेतृत्व के अभाव में छत्तीसगढ़ सरकार आखरी 3 सालों में मनमानी पर उतर आई थी।
छत्तीसगढ़ सरकार में कई घटनाक्रम हुए और लोग ठगे से देखते रहे । यहां तक सरकारी संरक्षण में सट्टे को भी प्रश्रय दिया गया। ट्रांसफर, नई नौकरी जैसे चीजों पर सरकारी दलालों का हस्तक्षेप हद से ज्यादा बढ़ गया। सरकार के मंत्री आमजन समाज में इतना हस्तक्षेप करने लगे कि गौठान और स्कूल विकास समिति के सदस्यों की नियुक्ति भी अपनी मर्जी से करने लग गए थे।
