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जो किसान पराली जला रहे हैं उन्हें बढ़े हुए रूस्क्क का लाभ नहीं मिलना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पंजाब सरकार की रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है कि एसएचओ द्वावार किसानों एवं किसान नेताओं के साथ 8 हजार से अधिक बैठकें की गईं ताकि पराली न जलाई जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके बावजूद खेतों में पराली जलाने का रुझान कम नहीं हुआ है। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कहा कि हमने पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है और करीब 100 एफआईआर दर्ज की हैं। इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को आर्थिक लाभ क्यों मिले? सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा जो किसान पराली जला रहे हैं, उन्हें एमएसपी का लाभ नहीं मिलना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि जो लोग पराली जलाने का काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक समस्या यह है कि जो लोग पराली जला रहे हैं वे यहां नहीं आएंगे। बिहार में वे इसे अपने हाथों से काटते हैं, हम समझते हैं कि जिन लोगों के पास पर्याप्त जोत है, उनके पास मशीनीकृत कटाई के साधन हैं, लेकिन छोटी जोत वाले लोग पराली जलाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पंजाब में जमीन धीरे-धीरे सूखती होती जा रही है, क्योंकि जल स्तर कम होता जा रहा है। यदि ज़मीन सूख गई तो बाकी सब चीज़ें प्रभावित होंगी। कहीं न कहीं किसानों को धान उगाने के दुष्परिणामों को समझना चाहिए या समझाया जाना चाहिए। धान की खेती पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, अब इसका अर्थशास्त्र हम नहीं जानते।
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