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भौतिक पुस्तकों और स्थानीय भाषाओं को चाहिए अपनाना : स्मृति ईरानी

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली। फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स(एफआईपी) ने क्लेरिजेस होटल में ‘इंडियन पब्लिशर्स कॉन्फ्रेंस 2023’ की शुरुआत की। यह आयोजन भारतीय प्रकाशन उद्योग में उत्कृष्टता और प्रगति के 50 वर्षों का जश्न मनाते हुए फेडरेशन की स्वर्ण जयंती का प्रतीक है। यह कॉन्फ्रेंस दो दिन(11-12 अगस्त) आयोजित की जाएगी। इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री जुबिन ईरानी ने किया। सम्मेलन की थीम 2047 में भारत: राष्ट्र निर्माण में प्रकाशन की भूमिका है। यह सम्मेलन देश के भविष्य को तैयार करने में प्रकाशन की महत्वपूर्ण भूमिका का पता लगाने के लिए उद्योग जगत के लीडर्स, इनोवेटर्स और हितधारकों को एक साथ लाया है। जैसे-जैसे भारत एक वैश्विक शक्ति बन रहा है, सम्मेलन में चर्चा हुई कि प्रकाशन कैसे आर्थिक विकास, रोजगार और ज्ञान प्रसार में योगदान दे सकता है और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समाज को बढ़ावा दे सकता है। स्मृति ईरानी ने डिजिटल युग में पढऩे की आदतों के विकास पर प्रकाश डाला, पारंपरिक पुस्तक पढऩे से ई-पुस्तकों में संक्रमण की चुनौती को स्वीकार किया।

उन्होंने उपकरणों के माध्यम से पढऩे की चुनौतियों पर जोर दिया और बताया कि कैसे यह एक चर्चा का विषय बन गया है। परिवर्तन का विरोध करने वालों को इनोवेशन की कमी के रूप में लेबल किया जा रहा है। उन्होंने कहा की कुछ हालिया चिकित्सा शोध से पता चलता है कि उपकरणों को जल्दी शुरू करने से सभी आयु समूहों में संज्ञानात्मक गिरावट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने आगे ज्ञान प्राप्ति और पढऩे के प्यार को प्रमुख कारण बताते हुए किताबें पढऩे के महत्व को बताया। उन्होंने फिजिकल कॉपियों से पढऩे की वकालत की। उन्होंने स्थानीय भाषाओं में पुस्तकों को डिजिटल बनाने और युवा पीढ़ी के बीच पढऩे की आदत को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया। ईरानी ने पाठकों और प्रकाशकों के बीच सहयोग की आवश्यकता के साथ-साथ व्यक्तिगत विकास में पढऩे की आवश्यक भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने किताबों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नीतिगत पहलों के माध्यम से प्रकाशन उद्योग को समर्थन देने की सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। ईरानी ने कॉपीराइट मुद्दों, चोरी और प्रकाशन क्षेत्र में व्यवधान जैसी चुनौतियों पर बात की।

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने कहा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय प्रकाशन उद्योग पिछले 9 वर्षों में उल्लेखनीय रूप से विकसित हुआ है। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी प्राथमिक पहल राष्ट्रीय समर्थन में उनकी केंद्रीय भूमिका को रेखांकित करती हैं। भारत में महाकाव्यों और वेदों का एक समृद्ध प्राचीन इतिहास है। हमारे गुरु और ऋषि भारतीय प्रकाशन क्षेत्र के पहले प्रकाशक थे, जो पीढिय़ों से विरासत में मिला था। किसी भी डिजिटल मोड की तुलना में हार्डकॉपी में किताबें पढऩे के शौकीन अभी भी अधिक हैं। उन्होंने कहा, वह खुद भारत में प्रकाशन की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक प्रभाव में डुबे हैं।

एफआईपी प्रेसीडेंट रमेश मित्तल ने कहा कि जैसा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है, फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स अगले महीने नई दिल्ली में राष्ट्र निर्माण में प्रकाशन की थीम पर इंडियन पब्लिशर्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन करके अपनी स्वर्ण जयंती मनाएगा। सम्मेलन में भाग लेने के लिए अंग्रेजी और हिंदी के साथ-साथ भारत भर के भाषा प्रकाशकों और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के विचारकों को आमंत्रित किया जाएगा, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति, कॉपीराइट, अनुवाद, सामग्री मुद्रीकरण, डेटा उपयोग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इनोवेशन और उससे ऊपर जैसे विषयों को लेकर भारत को एक किताब पढऩे वाला देश और एक सूचना समाज बनाने की दिशा में कार्य करने पर चर्चा करेंगे। इस अवसर पर बोलते हुए सम्मेलन के निदेशक प्रणव गुप्ता ने कहा कि इंडियन पब्लिशर्स कॉन्फ्रेंस 2023 के निदेशक के रूप में और इंडियन पब्लिशर्स एसोसिएशन की स्वर्ण जयंती के अवसर पर मुझे इस महत्वपूर्ण अवसर की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। यह भारतीय प्रकाशन उद्योग के लिए एक निर्णायक क्षण है

जब हम इंडियन पब्लिशर्स एसोसिएशन की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह सम्मेलन हमारे उद्योग की उल्लेखनीय वृद्धि और विशाल क्षमता को प्रदर्शित करता है। प्रकाशन हमारे देश के भविष्य और अर्थव्यवस्था को आकार देने और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समाज के विकास, प्रसार व प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-जैसे भारत का वैश्विक प्रभाव बढ़ रहा है, यह सम्मेलन स्वतंत्र भारत के निर्माण में प्रकाशन की परिवर्तनकारी शक्ति को आगे लाएगा। प्रेसिडेंट एमेरिटस अशोक के. घोष ने कहा कि जैसा कि भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है, यह आयोजन एक स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में प्रकाशन उद्योग के महत्व पर प्रकाश डालता है। आयात और निर्यात व्यापार को बढ़ावा देकर, प्रतिभा विकसित करके और शिक्षा और सूचना प्रसार को बढ़ावा देकर, प्रकाशन समावेशी विकास के लिए एक प्रेरक शक्ति है और भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए एक उत्प्रेरक है।सम्मेलन के दौरान विभिन्न सत्रों में ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और एनईपी, प्रकाशन में कॉपीराइट और बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्व, और प्रकाशन पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभाव’ पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का समापन भारत में पुस्तक प्रकाशन के 75 वर्ष, हिंदी संस्करण के विमोचन के साथ हुआ।

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