रायपुर। छत्तीसगढ़ के पहले पर्व हरेली तिहार की धूम है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के ने रायपुर स्थित निवास पर इस बार हरेली तिहार पर अलग की रंग दिख रहा है। परिवार के साथ गोमाता की पूजा के साथ मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश वासियों को हरेली तिहार की बधाई दी। इस दौरान वे गेड़ी चढ़े और छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभंकर बछरू को भी प्रदर्शित किया। इस दौरान छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के सारे खेलों के गीत को प्रदर्शित किया गया। हरेली के साथ ही छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का भी आगाज हो गया है।
बता दें छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। हरेली तिहार पर मुख्यमंत्री निवास पर में चारों ओर छत्तीसगढ़ी संस्कृति की महक दिखी। इस दौरान सीएम भूपेश बघेल के निवास पर अतिथियों को मेला लगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली तिहार पर अत्याधुनिक तकनीक से मुख्यमंत्री निवास में जन्मी बछिया और साहीवाल प्रजाति की उसकी मां की पूजाअर्चना की और उन्हें घास खिलाया। बछिया का 7 जून को लिंग वर्गीकृत वीर्य विधि के माध्यम से हुआ है। इसके बाद उन्होंने हल सहित कृषि यंत्रों की पूजा की। इस दौरान मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी मुक्तेश्वरी बघेल भी मौजूद रही।

पारंपरिक त्योहार पर सीएम ने गोमाता की पूजा के बाद जमकर त्योहार का लुत्फ उठाया। इस दौरान लोक गायकों ने सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इस मौके पर गेड़ी चढ़कर मुख्यमंत्री बघेल सरपट चले। मुख्यमंत्री बघेल में इतनी ऊर्जा जैसी किसी किशोर में दिखती है। गेड़ी के बाद रहचुली झूले में बैठे और बचपन की यादों को ताजा किया। रहचुली झूले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी बिटिया और नातिन के साथ चढ़े और झूले का लुत्फ उठाया। इस दौरान सीएम ने अपने हाथों में रखकर भौंरा चलाया।
गेड़ी चढ़ने का त्योहार है हरेली
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश वासियों को हरेली तिहार की बधाई देते हुए कहा कि बहुत सुंदर आप सभी ने यहां मंच सजाया है। हरेली त्योहार हम सब उल्लास से मनाते हैं। हरेली त्योहार केवल गेड़ी चढ़ने का त्योहार नहीं है। यह उत्साह का त्योहार है और इसके लिए वातावरण बनाना होता है और यह तब होता है , जब खुशहाली हो। किसान खुशहाल हो। हम यह सब कर रहे हैं। किसानों के दुख दर्द को हमने समझा। किसानों का रकबा बढ़ गया। अब 20 क्विंटल धान खरीदेंगे। यह उल्लास का वातावरण सभी जगह है।
गोधन न्याय योजना से सुधर रही अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से अर्थव्यवस्था सुधर रही है। दूध उत्पादन बढ़ गया है। आदिवासी क्षेत्रों में भी उल्लास का माहौल है। हरेली में जो नीम की डाली का उपयोग होता है। वह कीटनाशक है। यह वर्षाजनित बीमारियों से बचाता है। किसान अपने उपकरणों की पूजा करते हैं। आज जिनके घर भी गाय है उनकी पूजा हो रही है। यही समृद्धि का रास्ता है। शिक्षा के क्षेत्र में हमने स्वामी आत्मानंद स्कूल आरम्भ किये। इससे बड़ी संख्या में लोगों को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी शिक्षा मिल रही है।
संस्कृति को सहेजने का प्रयास
हमारे पूर्वजों द्वारा बरसों से तैयार की गई हमारी संस्कृति नष्ट हो रही थी। इसे संरक्षित करने का प्रयास हमने किया है और बहुत बढ़िया काम हो रहा है। रामायण के माध्यम से हम लोगों के जीवन में भगवान राम का आदर्श उतारने की कोशिश कर रहे हैं। रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव किया। चंदखुरी, शिवरीनारायण और राजिम के साथ ही राम वनगमन पथ को विकसित करने का हमने कार्य किया है। बस्तर में देवगुड़ी को संरक्षित किया गया। घोटुल का संरक्षण किया। आसना में बादल आरम्भ किया गया। इससे बस्तर की लोक संस्कृति को सहेजने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारे आदिवासी जीवन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है। इतनी सुंदर परम्परा है जिन्हें हम सोचें तो चकित हो जाते हैं। यह ऐसी संस्कृति है जो अपने देवी-देवताओं के साथ रहती है। उनसे गहन लगाव रखती है। इसके लिए हमने कार्य किया। जो मजदूरों किसानों का भोजन बोरे-बासी है वो अब फाइव स्टार होटल तक पहुंच गया है। अपनी संस्कृति पर हम सब गौरव करते हैं। जो लोग हीनताबोध में थे वे इस संस्कृति के गौरव को महसूस कर रहे हैं और छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया वाक्य को चरितार्थ कर रहे हैं।