समाज के रूढ़िवादी नजरिए को तोड़ा, लिखी आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई इबारत
रायपुर


पारंपरिक चलन में महिलाओं को रोजगार दिलाने का मतलब था एक तकनीकी कौशल का ज्ञान देकर कर्मचारी के रूप में नियोजित करना, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नई सोच के साथ यह तय किया कि महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए उद्योग तो स्थापित होंगे, लेकिन उनका संपूर्ण प्रबंधन भी महिलाओं के ही हाथ में होगा। यानी छत्तीसगढ़ मॉडल में महिला निर्भरता का मतलब उसे कुशल कर्मचारी नहीं, बल्कि सफल उद्यमी बनाना है। इसी सोच के साथ दंतेवाड़ा नेक्स्ट यानी श्डेनेक्सश् ब्रांड की शुरुआत की गई। इस रेडीमेड गारमेंट उद्योग में काम करने वाली सहायता समूह की महिलाएं जिन्हें यहां के लोग दीदी कह कर बुलाते हैं, वे ही इस कंपनी का संपूर्ण कार्य प्रबंधन भी संभालती हैं। इस तरह इस संगठन से जुड़ी हर एक महिला अपने आप में एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बना रही है।


12 लाख डिजाइनर कपड़े, 72 करोड़ की आमदनी
डेनेक्स फैक्ट्री से अब तक 12 लाख गारमेंट बनाकर विक्रय के लिए भेजे जा चुके हैं। यहां तैयार किए गए रेडीमेड कपड़ों की गुणवत्ता और उनकी डिजाइन ग्राहकों को लुभा रही है। इसी का नतीजा है कि कई बड़े मल्टीनेशनल स्टोर्स और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर भी इन कपड़ों की बड़ी डिमांड है। देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ कई अन्य देशों को भी यहां तैयार किए गए रेडीमेड गारमेंट निर्यात किए जा रहे हैं। महिलाओं द्वारा तैयार किए गए इन कपड़ों से कंपनी को अब तक करीब 72 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। इस फैक्ट्री के माध्यम से करीब 1000 महिलाओं को सीधे रोजगार से जोड़ा गया है। जिला प्रशासन के संरक्षण में स्व सहायता समूहों के माध्यम से संचालित हो रहे इस रेडीमेड गारमेंट उद्योग को इंडस्ट्रियल चौन के रूप में आगे भी विस्तारित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में प्रशासन के सहयोग से महिलाएं लगातार आगे बढ़ भी रही हैं।