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सीजेआई चंद्रचूड़ ने रखी अपने मन की बात, कहा कम से कम गर्मियों में बदला जाए वकीलों का ड्रैस कोड

by Bhupendra Sahu

नई दिल्ली। संविधान दिवस के एक दिन पहले इसकी पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें कानून मंत्री किरेन रिजिजू के साथ साथ मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री रिरिजू ने भारतीय संविधान पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम का शुभारंभ भी किया। वहीं वकीलों की ड्रैस को लेकर भी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बात कही। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने भाषण में कहा कि कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना होती है, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि सभी जज संविधान के सिपाही हैं। उन्होंने कहा कि लोगों का हित सिर्फ जनहित याचिका से नहीं होता है बल्कि इस बात से होता है कि न्याय तक सभी की पहुंच हो। इसके साथ ही उन्होंने वकीलों के ड्रेस कोड पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वकील अभी औपनिवेशिक काल की पोशाक पहन रहे हैं। कम से कम गर्मी के लिए किसी बेहतर ड्रेस कोड पर विचार होना चाहिए, जो पेशे के हिसाब से गरिमापूर्ण भी हो।

संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट में कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भाषण देते हुए कहा कि 8 साल से अधिक के कार्यकाल में सरकार ने न्यायपालिका के सम्मान को चोट पहुंचाने वाली कोई बात नहीं की। हम न्यायपालिका को अधिक मजबूत बनाने के लिए सब कुछ करेंगे। कार्यपालिका और न्यायपालिका एक ही माता-पिता (संविधान) की संतान हैं। आपसी टकराव का कोई फायदा नहीं।
उन्होंने कहा कि दुनिया के संविधानों में सबसे विशाल होते हुए भी भारतीय संविधान हमेशा की तरह जीवन्त और प्रासंगिक बना हुआ है, क्योंकि उसमें लचक और कठोरता का अनोखा संगम है। उन्होंने जोर दिया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम संविधान की मूल भावना को जानें, ताकि सार्थक रूप से अपने अधिकारों को समझ सकें। किरेन रिजिजू ने कहा कि जब वे लोगों को यह कहते सुनते हैं कि हम कानून और संविधान को नहीं मानते, तो उन्हें बहुत अफसोस होता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत गलत बात है और अगर हम सच्चे मन से अपने कर्तव्यों को समझेंगे, तो हमारे अधिकारों कभी नुकसान नहीं पहुंचेगा।
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