Home » किसान आंदोलन में फूट! 2 संगठन हुए अलग, टिकैत पर लगाए आरोप

किसान आंदोलन में फूट! 2 संगठन हुए अलग, टिकैत पर लगाए आरोप

by admin

नई दिल्‍ली. गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर निकाली गई किसान ट्रैक्टर रैली (Kisan Tractor Rally) के दौरान मचे बवाल और हिंसा के बाद किसान आंदोलन (Kisan Andolan) में फूट पड़ गई है. राष्‍ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह (VM Singh) ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) पर गंभीर आरोप लगाते हुए खुद और अपने संगठन को इस आंदोलन से अलग करने का फैसला लिया है. उन्‍होंने कहा कि हम अपना आंदोलन यहीं खत्‍म करते हैं. हमारा संगठन इस आंदोलन से अलग है.

भारतीय किसान यूनियन (भानू) भी आंदोलन से अलग
उधर, भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भानू प्रताप सिंह ने भी खुद को आंदोलन से अलग करने का ऐलान कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि मैं कल दिल्‍ली में हुई घटना से इतना दुखी हूं कि मैं इसी समय से घोषणा करता हूं कि अपने संगठन के धरने को खत्‍म करता हूं.

वीएम सिंह ने कहीं ये बड़ी बातें…
-जो साथी अब इस आंदोलन से हटना चाहते हैं, हट जाएं.

-ये आंदोलन इस स्‍वरूप मे मेरे साथ नहीं चलेगा.

-हम यहां न शहीद करने आए न अपने लोगों को पिटवाने आए हैं.

-उन लोगों के साथ आंदोलन नहीं चला सकते, जिनकी दिशा अलग हो.

-राकेश टिकैत ने एक बार भी गन्‍ना किसानों की बात उठाई.

-राकेश टिकैत ने धान खरीफ की कोई बात नहीं की.

-हम यहां से सपोर्ट करते रहें और उधर कोई और कोई नेता बना रहे, यह मंजूर नहीं.

-मैं यह कहना चाहता हूं कि मैंने आंदोलन खड़ा करने का काम किया. मैंने किसानों को दिल्‍ली लाने का काम किया.

-हम यहां इसलिए नहीं आए थे कि खुद को, देश को और 26 जनवरी पर सबको बदनाम करें.

वीएम सिंह को पहले ही मोर्चे ने खुद से अलग रखा हुआ है- मोर्चा
इस पर संयुक्‍त किसान मोर्चे के एक प्रमुख नेता ने न्‍यूज18 हिंदी (डिजिटल) से बातचीत में कहा कि वीएम सिंह क्‍या इस आंदोलन से अलग होंगे, उनको तो पहले ही मोर्चे ने खुद से अलग रखा हुआ है. उन्‍होंने कहा कि संयुक्‍त किसान मोर्चे के तहत जो भी संगठन आंदोलन कर रहे हैं, वह शांतिपूर्वक अपना आंदोलन करते रहेंगे.

आंदोलन को कमजोर आदमी बीच में छोड़ता है- टिकैत
खुद पर लगे आरोपों को लेकर भाकियू के राकेश टिकैत ने कहा कि मैं पहले ही किसानों की सारी जिम्‍मेवारी ले चुका है. जिसको गाजीपुर छोड़ना है वह छोड़ दे. दो महीने तक यहां क्‍यों डटे थे? जब पुलिस का डंडा पड़ तो भाग गए. जब नेतागिरी करनी थी तो करते रहे, लेकिन एफआईआर दर्ज हो गई तो आंदोलन छोड़कर भाग गए. आंदोलन को कमजोर आदमी बीच में छोड़ता है.

Share with your Friends

Related Articles

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More