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पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर ड्रेगन फ्रूट की राह पर साहिल

by Bhupendra Sahu

रायपुर dधमतरी जिले के ग्राम बगौद के प्रगतिशील किसान श्री साहिल बैस आधुनिक और लाभकारी खेती की दिशा में एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने परंपरागत फसलों से आगे बढ़ते हुए अपने खेत में ड्रेगन फ्रूट (Dragon Fruit) की खेती अपनाई है। वर्तमान में श्री बैस ने लगभग दो एकड़ क्षेत्र में ड्रेगन फ्रूट का रोपण किया है, जो जिले में नवाचारी बागवानी का सशक्त उदाहरण है। यह कैक्टस परिवार का पौधा है|
किसान साहिल बैस बताते हैं कि ड्रेगन फ्रूट की खेती उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से शुरू की। एक एकड़ में लगभग 1600–1800 पौधे कटिंग कर सीमेंट/लोहे के खंभों पर चढ़ाकर उगाया । प्रारंभिक वर्ष में संरचना निर्माण, पौध क्रय एवं देखरेख पर निवेश अधिक होने के कारण पिछले वर्ष “नो प्रॉफिट-नो लॉस” की स्थिति रही, किंतु पौधों के परिपक्व होने के साथ ही आने वाले वर्षों में अच्छा मुनाफा मिलने की पूरी संभावना है।

पैदावार और मुनाफा: औसत उत्पादन: 8–10 टन प्रति एकड़ | बाजार भाव: ₹150 से ₹300 प्रति किलो (सीजन व गुणवत्ता पर निर्भर)लागत पहले वर्ष अधिक, बाद के वर्षों में मुनाफा बढ़ता है

उत्पादन कब शुरू होता है| रोपण के 12–18 महीने बाद फल आना शुरू होता है । 20–25 साल तक उत्पादन देता है| एक पौधे से 3–5 किलो फल/वर्ष (अच्छी देखभाल में अधिक)

कृषक बैस ने खेत में ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाई है, जिससे पानी की बचत के साथ-साथ पौधों को आवश्यकतानुसार नमी मिलती है। यह फसल जल संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है। सामान्यतः 7–10 दिन में हल्की सिंचाई पर्याप्त रहती है, जिससे सिंचाई लागत कम होती है।

ड्रेगन फ्रूट की खेती में अच्छी जल निकास वाली रेतीली-दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल उष्ण एवं अर्ध-शुष्क जलवायु में अच्छी तरह पनपती है। रोपण के लगभग 12 से 18 माह बाद पौधों में फल आना शुरू हो जाता है, जबकि 3–4 वर्षों में पूर्ण उत्पादन क्षमता प्राप्त हो जाती है। एक पौधे से औसतन 3 से 5 किलोग्राम फल प्राप्त किया जा सकता है।

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