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मनरेगा की ताकत से बदली किसान विष्णु प्रसाद की किस्मत, बुलाकीटोला में जल से आई समृद्धि

by Bhupendra Sahu

मनरेगा से बदली खेती की तकदीर, बुलाकीटोला में आत्मनिर्भरता की नई कहानी

एमसीबी  जिले के मनेन्द्रगढ़ जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत बुलाकीटोला का एक छोटा सा गाँव, जहाँ वर्षों से पानी की कमी खेती और आजीविका की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई थी, आज बदलाव की मिसाल बन चुका है। इसी गाँव के किसान विष्णु प्रसाद पिता घुरफेकन सिंह के जीवन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कराए गए कुआ निर्माण ने संघर्ष से स्थायित्व और अभाव से समृद्धि की राह खोल दी है। यह कहानी केवल एक किसान की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की सफलता की है, जिसने सही समय पर सही समाधान दिया।

कुआ निर्माण बना जीवन परिवर्तन का आधार
वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1.80 लाख रुपये की स्वीकृत राशि से व्यक्तिगत श्रेणी में विष्णु प्रसाद के खेत में कुआ निर्माण कार्य संपन्न कराया गया। इस कार्य का उद्देश्य खेती को बारिश पर निर्भरता से मुक्त कर स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना था। कुआ निर्माण से पहले किसान केवल एक फसल तक सीमित थे। अनियमित वर्षा के कारण पैदावार प्रभावित होती थी और आय अस्थिर बनी रहती थी। खेत में पानी की कमी ने नई फसलों की संभावना को रोक रखा था, जिससे भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती थी। ग्राम पंचायत बुलाकीटोला द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन और मानकों के अनुरूप कराए गए इस निर्माण कार्य के बाद कुएं में पर्याप्त जल भराव हुआ और खेतों की तस्वीर पूरी तरह बदल गई।

एक फसल से बहुफसली खेती तक की यात्रा
कुआ निर्माण के बाद सिंचाई की स्थायी सुविधा मिलने से विष्णु प्रसाद अब दो फसलों की खेती कर रहे हैं। धान के साथ-साथ आलू और अरहर जैसी नकदी फसलों की खेती 3 से 4.30 एकड़ क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा रही है। इससे उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और आय के नए स्रोत खुले हैं। अब खेती केवल जीवनयापन का साधन नहीं, बल्कि लाभकारी व्यवसाय बन चुकी है। बढ़ी हुई आय से परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और दैनिक जरूरतों को पूरा करना पहले से कहीं अधिक सहज हो गया है। जल उपलब्धता ने किसान के आत्मविश्वास को बढ़ाया है और खेती से जुड़े जोखिमों को कम किया है।

मनरेगा से स्थायी विकास की मजबूत नींव
बुलाकीटोला में बना यह कुआ आज केवल एक संरचना नहीं, बल्कि सुशासन, योजना और परिश्रम का जीवंत प्रतीक है। यह उदाहरण साबित करता है कि मनरेगा केवल रोजगार सृजन की योजना नहीं, बल्कि यदि इसका सही क्रियान्वयन हो तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण कर दीर्घकालिक बदलाव ला सकती है। जल संरक्षण और सिंचाई जैसे कार्य किसानों की आय बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को मजबूती देने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। विष्णु प्रसाद की यह सफलता कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं और यह संदेश देती है कि योजनाओं का सही उपयोग ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकता है।

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