Home » छत्तीसगढ़ में वर्ष 2025-26 की नई गाइडलाइन दरें लागू: आठ वर्षों बाद बड़े पैमाने पर रेशनलाइजेशन, शहरी–ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दूर हुई विसंगतियाँ

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2025-26 की नई गाइडलाइन दरें लागू: आठ वर्षों बाद बड़े पैमाने पर रेशनलाइजेशन, शहरी–ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दूर हुई विसंगतियाँ

by Bhupendra Sahu

रायपुर,  छत्तीसगढ़ शासन ने स्थावर संपत्तियों के वास्तविक बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करने और गाइडलाइन दरों में वर्षों से चली आ रही असमानताओं को दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2025-26 की नई गाइडलाइन दरें पूरे राज्य में लागू कर दी हैं। “छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दरों का निर्धारण नियम, 2000” के तहत केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड, रायपुर द्वारा अनुमोदित ये दरें 20 नवंबर 2025 से प्रभावी हो गई हैं। यह संशोधन वर्ष 2018-19 के बाद पहली बार राज्यव्यापी स्तर पर किया गया है।

राज्य में पिछले आठ वर्षों से गाइडलाइन दरों में कोई वृद्धि नहीं होने के कारण वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन मूल्य के बीच भारी अंतर पैदा हो गया था। इस स्थिति को सुधारने के लिए पूरे प्रदेश में वैज्ञानिक पद्धति से रेशनलाइजेशन कर नई दरें निर्धारित की गई हैं। जिलों की भौगोलिक स्थिति, शहरी संरचना, ग्रामीण बसाहट, सड़क संपर्क और आर्थिक गतिविधियों में आए बदलावों को ध्यान में रखते हुए अनेक जटिलताओं को सरल किया गया है।

राज्य के विभिन्न नगरीय निकायों में पूर्व में एक ही वार्ड में 10 से 12 प्रकार की कंडिकाएँ लागू थीं, जिससे लोगों को अपने संपत्ति मूल्यांकन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। कई कंडिकाएँ तो वास्तविक रूप से अस्तित्व में ही नहीं थीं। नई गाइडलाइन दरों में अनावश्यक कंडिकाओं को हटाकर एक समान प्रकृति वाले क्षेत्रों को समाहित करते हुए सरल और पारदर्शी संरचना लागू की गई है। इससे अब एक ही क्षेत्र, समान सड़क या समान मार्ग पर संपत्तियों का मूल्यांकन एकरूपता के साथ होगा।

इसी रेशनलाइजेशन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण जिला कोण्डागांव में दिखाई देता है, जहाँ शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में भारी सुधार किए गए हैं। नगर पालिका कोण्डागांव के 22 वार्डों में पूर्व की 145 कंडिकाओं को घटाकर मात्र 30 कंडिकाएँ निर्धारित की गई हैं। इसी प्रकार नगर पंचायत फरसगांव में 49 कंडिकाओं को कम कर 15 तथा नगर पंचायत केशकाल में 45 कंडिकाओं को घटाकर 15 कंडिकाओं में समाहित किया गया है। इससे संपत्ति मालिकों को वास्तविक बाजार मूल्य की स्पष्ट समझ मिलेगी।

राज्य के अनेक जिलों में राष्ट्रीय राजमार्गों के दोनों ओर बसे वार्डों या ग्रामों के दरों में भारी विसंगतियाँ थीं। उदाहरणस्वरूप, कोण्डागांव में राष्ट्रीय राजमार्ग-30 से लगे वार्डों में पूर्व दरें एक-दूसरे से काफी भिन्न थीं। वार्ड क्रमांक 22 की एनएच-30 कंडिका का रेट 10,850 रुपये प्रति वर्गमीटर था, जबकि इसी मार्ग के वार्ड क्रमांक 4 में यह 10,000 रुपये था। आमने-सामने स्थित वार्ड क्रमांक 1 और 2 में यह दर क्रमशः 7,800 और 8,700 रुपये नियत थी। नई गाइडलाइन में इन सभी को एक समान कर 12,000 रुपये प्रति वर्गमीटर प्रस्तावित किया गया है। इसी प्रकार केशकाल में एनएच-30 से लगे वार्डों के दरों को भी समायोजित करते हुए एक समान 9,500 रुपये प्रति वर्गमीटर प्रस्तावित किए गए हैं।

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में भी दरों में भारी सुधार किया गया है। हजारों ग्रामों में एक ही प्रकार की भूमि या एक ही मार्ग पर लगने के बावजूद दरों में व्यापक असमानता थी। कई ग्रामों में प्रति हेक्टेयर 59,000 रुपये तक की अत्यंत कम दरें थीं, जिससे किसानों को न तो उचित मुआवजा मिल पाता था और न ही भूमि बिक्री में बाजार मूल्य का लाभ। पेरमापाल, हंगवा, तोतर, आमगांव, आदनार, चेमा, छोटेउसरी, छोटेकोडेर, टिमेनार, एहरा और गदनतरई जैसे गांवों में दरों को आसपास के विकसित गांवों के अनुसार समायोजित किया गया है।

राज्य के अन्य जिलें दुर्ग, रायगढ़, सरगुजा, कोरबा, धमतरी, बिलासपुर, कबीरधाम, कांकेर और बस्तर में भी इसी तरह सड़कों, बाजारों, बसाहटों और विकास की वास्तविक स्थिति का आकलन कर दरों में व्यापक सुधार किए गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग और प्रमुख जिला सड़कों के दोनों ओर बसे ग्रामों और बस्तियों को एक समान मानक पर मूल्यांकन करते हुए दरों को संशोधित किया गया है।

नई गाइडलाइन दरों में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वर्गमीटर की दर समाप्त कर दी गई है। अब सभी प्रकार की आवासीय और कृषि भूमि का मूल्यांकन एक समान हेक्टेयर दर से किया जाएगा। इससे छोटे टुकड़ों की भूमि और कृषि भूमि के बाजार मूल्य में जो असमानता थी, वह समाप्त होगी और किसानों को उनकी जमीन का उचित मूल्य व मुआवजा प्राप्त होगा।

पिछले आठ वर्ष में पूरे राज्य के शहरों और गांवों का तीव्र विकास हुआ है। सड़क, संपर्क, व्यावसायिक परिसर, आवासीय विस्तार और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हुई है। नई गाइडलाइन दरों में इन सभी परिवर्तनशील पहलुओं को वैज्ञानिक पद्धति से समाहित किया गया है, ताकि बाजार मूल्य और गाइडलाइन मूल्य के बीच का अंतर समाप्त हो तथा राज्य में संपत्ति आधारित लेनदेन अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित बने।

नई राज्य स्तरीय गाइडलाइन दरें भूमि मालिकों, किसानों, निवेशकों और आम नागरिकों को सही मूल्यांकन की सुविधा उपलब्ध कराएंगी। साथ ही यह कदम राजस्व वृद्धि, ग्रामीण-शहरी विकास और रियल एस्टेट क्षेत्र में स्थिरता एवं विश्वास बढ़ाने की दिशा में राज्य शासन का महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।
ग्राम मसोरा में (विक्रेता– मनुराम चक्रधारी निवासी-गिरोला, क्रेता-शांति देवी कुशवाहा निवासी-कोंडागांव)रकबा 0.032 हेक्टेयर आवासीय भूमि का पूर्व गाइड लाइन के वर्गमीटर दर से गणना करने पर बाजार मूल्य 1,17,000/- पर कुल 12,402/- स्टाम्प व पंजीयन शुल्क होता जबकि नई गाइड लाईन हेक्टेयर दर अनुसार बाजार मूल्य 54,500/- पर स्टाम्प व पंजीयन शुल्क 5,777/- चुकाया गया जिससे पक्षकार को 6,625/- का लाभ हुआ!
ग्राम केरावाही में (विक्रेता-जगारी निवासी-केरावाही, क्रेता-मनोज मानिकपुरी निवासी-केरावाही) रकबा 0.024 हेक्टेयर आवासीय भूमि का पूर्व गाइड लाइन के वर्गमीटर दर से गणना करने पर बाजार मूल्य 39,000/- पर कुल 4,134/- स्टाम्प व पंजीयन शुल्क होता जबकि नई गाइड लाईन हेक्टेयर दर अनुसार बाजार मूल्य 23,000/- पर स्टाम्प व पंजीयन शुल्क 2,438/- चुकाया गया जिससे पक्षकार को 1696/- का लाभ हुआ

Share with your Friends

Related Articles

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More