नई दिल्ली । पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फंड एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) को निवेश का सबसे आसान और भरोसेमंद तरीका माना गया है। हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम लगाकर एक बड़ा फंड बनाने की इस सुविधा ने लाखों निवेशकों को आकर्षित किया। लेकिन अब यह हालात बदलते दिख रहे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बड़ी संख्या में निवेशक अपनी स्ढ्ढक्क बंद कर रहे हैं। यह ट्रेंड बताता है कि निवेशक अब अपनी रणनीतियों पर दोबारा विचार कर रहे हैं।
सितंबर में बंद हुईं 44 लाख स्ढ्ढक्कह्य
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (्ररूस्नढ्ढ) के जारी डेटा के अनुसार, सितंबर 2025 में करीब 44.03 लाख स्ढ्ढक्कह्य बंद हुईं। यह संख्या अगस्त 2025 के 41.15 लाख के आंकड़े से लगभग 7त्न अधिक है। पिछले साल इसी महीने (सितंबर 2024) में यह आंकड़ा 40 लाख के आसपास था।
्ररूस्नढ्ढ के आंकड़े यह भी बताते हैं कि स्ढ्ढक्क बंद होने की रफ्तार पिछले चार महीनों से लगातार बदल रही है।
जून: 48 लाख स्ढ्ढक्क बंद हुईं
जुलाई: 43 लाख स्ढ्ढक्क बंद हुईं
अगस्त: 41 लाख स्ढ्ढक्क बंद हुईं
सितंबर: 44.03 लाख स्ढ्ढक्क बंद हुईं
यह उतार-चढ़ाव दिखाता है कि निवेशक अभी भी अपने निवेश को लेकर असमंजस में हैं और लगातार अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा कर रहे हैं।
स्ढ्ढक्क बंद करने की मुख्य वजहें
निवेशकों के इस लोकप्रिय निवेश साधन से दूरी बनाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोग बाजार की अस्थिरता से घबरा रहे हैं, तो कुछ अपने लक्ष्यों के पूरे होने या फंड के खराब प्रदर्शन के कारण स्ढ्ढक्क रोक रहे हैं।
प्रमुख वजहें निम्नलिखित हैं
निवेशकों द्वारा अपनी स्ढ्ढक्क बंद करने के पीछे कई रणनीतिक और व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं। कई निवेशक अपने पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने के उद्देश्य से ऐसा करते हैं; वे एक ही बड़ी स्ढ्ढक्क चलाने के बजाय, अपने निवेश को कई छोटी स्ढ्ढक्कह्य में बांटकर जोखिम को कम करना और बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें पुरानी स्ढ्ढक्क रोकनी पड़ती है।
इसके अतिरिक्त, गलत फंड का चुनाव भी एक बड़ी वजह है; कई बार निवेशकों को बाद में यह एहसास होता है कि उन्होंने ऐसा फंड चुन लिया है जो उनके वित्तीय लक्ष्यों या रिस्क प्रोफाइल से मेल नहीं खाता। इसी तरह, यदि किसी सेक्टर-आधारित फंड का प्रदर्शन लंबे समय से कमजोर चल रहा हो, तो निवेशक उसमें पैसा लगाते रहने के बजाय ब्रॉड मार्केट फंड में जाना पसंद करते हैं। इन रणनीतिक बदलावों के अलावा, आर्थिक दबाव या इमरजेंसी भी एक मुख्य कारण है; नौकरी छूटना, अचानक आए मेडिकल खर्च या किसी पारिवारिक वित्तीय संकट जैसी स्थितियों में नकदी बनाए रखना प्राथमिकता बन जाता है, और स्ढ्ढक्क रोकना एक मजबूरी बन जाती है।
विशेषज्ञों की राय
अक्सर कहा जाता है कि स्ढ्ढक्क कभी बंद नहीं करनी चाहिए, लेकिन वित्तीय विशेषज्ञ इससे पूरी तरह सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि स्ढ्ढक्क रोकना जरूरी नहीं कि हर बार एक खराब फैसला ही हो। यदि यह फैसला जरूरत और सही वित्तीय सलाह पर आधारित है, तो यह एक सही कदम भी हो सकता है।
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