जल संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती – मनरेगा के तहत हुआ कार्य
एमसीबी ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट का समाधान और किसानों की आजीविका सुदृढ़ करने की दिशा में मनरेगा के तहत किए जा रहे कार्य निरंतर प्रभाव दिखा रहे हैं। इसी क्रम में मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत सोनवर्षा के ग्राम राधारमणनगर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत डबरी निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यह डबरी हितग्राही श्री बुधराम/गंगासिंह (जॉब कार्ड क्रमांक 001/14) के लाभ के लिए स्वीकृत की गई थी। इस कार्य पर लगभग 3 लाख रुपये की लागत आई है। डबरी निर्माण कार्य 01 दिसम्बर 2024 से 20 मई 2025 तक निर्धारित तकनीकी मानकों के अनुसार ग्राम पंचायत एजेंसी द्वारा संपन्न कराया गया।
डबरी निर्माण का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध कराना, जल संरक्षण को बढ़ावा देना, तथा कृषि आधारित आय के साथ मछली पालन जैसी आजीविका गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है। यह परियोजना ग्रामीण विकास एवं सतत आजीविका संवर्धन के क्षेत्र में एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में उभर रही है।
पानी की समस्या से राहत – बढ़ेगा फसल उत्पादन
निर्माण से पहले किसान वर्षा पर निर्भर रहते थे और अंतिम सिंचाई के अभाव में फसल उत्पादन घट जाता था। अब डबरी बनने से खेतों के लिए स्थायी जलस्रोत उपलब्ध हो गया है। इससे किसानों को समय पर सिंचाई करने में सुविधा मिलेगी, फसल उत्पादन में वृद्धि होगी तथा सूखे की स्थिति में भी फसलें सुरक्षित रह सकेंगी। यह परियोजना मनरेगा के उन उद्देश्यों को भी साकार करती है, जिनके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरचनाओं का निर्माण, संरक्षण एवं पुनर्जीवन को प्राथमिकता दी जाती है।
मछली पालन से दोहरी आमदनी का रास्ता खुला
सिंचाई सुविधा के साथ ही हितग्राही ने डबरी में 1,000 मछली बीज छोड़े हैं, जिससे अब उन्हें कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगी। “पहले अंतिम पानी उपलब्ध नहीं होने से फसलें कमजोर हो जाती थीं और उत्पादन घट जाता था। अब डबरी बनने से सिंचाई आसान हो गई है। साथ ही मछली पालन शुरू करने से आय भी बढ़ेगी,” हितग्राही श्री बुधराम ने खुशी जाहिर की।
स्थानीय श्रमिकों को मिला रोजगार
डबरी निर्माण कार्य ने न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा दिया, बल्कि स्थानीय मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए। ग्रामीणों को अपने ही गांव में काम मिला, जिससे प्रवास पर निर्भरता कम हुई और गांव की अर्थव्यवस्था को बल मिला।
सतत विकास और जल संरक्षण का अनुकरणीय उदाहरण
सोनवर्षा ग्राम में निर्मित यह डबरी जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण आजीविका संवर्धन की दिशा में सतत विकास का प्रभावी मॉडल बन गई है। इससे क्षेत्र की जल संग्रहण क्षमता बढ़ी है, भूजल स्तर में सुधार की उम्मीद है और ग्रामीणों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। मनरेगा योजना के तहत इस प्रकार की परियोजनाएँ न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती हैं, बल्कि ग्रामीण समुदाय को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार के सतत प्रयासों को सशक्त आधार प्रदान करती हैं।