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युक्तियुक्तकरण नीति से विद्यार्थियों तक पहुँच रही शिक्षकों की विशेषज्ञता का लाभ

by Bhupendra Sahu

मिडिल स्कूल लैंगा में शिक्षक गोरेलाल कंवर के आने से हिंदी विषय में बढ़ी विद्यार्थियों की रुचि

रायपुर प्रदेश सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति के तहत विद्यालयों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की पदस्थापना से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। इसी कड़ी में कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, लैंगा में हिंदी विषय के शिक्षक श्री गोरेलाल कंवर की नियुक्ति हुई है। विद्यालय में उनके आने के बाद से हिंदी विषय विद्यार्थियों के लिए रोचक और प्रेरणादायक बन गया है।

शिक्षण शैली ने बच्चों में जगाई सीखने की जिज्ञासा
श्री कंवर की शिक्षण शैली अत्यंत रोचक, जीवंत और प्रभावशाली है। वे गद्य, पद्य, व्याकरण और साहित्य के हर पहलू को बच्चों तक सरल और रचनात्मक ढंग से पहुँचाते हैं। नाट्य रूपांतरण, संवाद, कहानी, गीत और गतिविधि-आधारित शिक्षण के माध्यम से वे बच्चों को सीखने में सम्मिलित करते हैं।
कक्षा 8 वीं के छात्रों ने बताया कि जब श्री कंवर ने इतिहास विषय में तैमूर लंग के भारत आक्रमण से संबंधित पाठ का मंचन कराया, तो इतिहास जैसे विषय जीवंत हो उठा। बच्चों की आँखों में जिज्ञासा की चमक और सीखने का उत्साह देखने लायक था।

हिंदी बनी बच्चों के लिए मनोरंजन और ज्ञान का स्रोत
शिक्षक गोरेलाल कंवर के प्रयासों से अब हिंदी विषय विद्यार्थियों के लिए कठिन नहीं बल्कि मनोरंजक और ज्ञानवर्धक बन गया है। रस, छंद, अलंकार जैसे व्याकरण के अंश अब बच्चों को सहज लगने लगे हैं। छात्र-छात्राएँ — कु. अनुसुइया, अंश, रश्मि, कल्पना, महिमा और लवकेश — ने बताया कि अब उन्हें हिंदी पढ़ना आनंददायक लगता है और वे कविता पाठ, कहानी लेखन व भाषण जैसी गतिविधियों में भी भाग लेने लगे हैं।

अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास में भी हो रहा विकास
श्री कंवर केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहते, बल्कि बच्चों में अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास का संचार करते हैं। वे छात्रों को कहानी रचना, पत्र लेखन, कविता पाठ और भाषण देने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो रहा है।

अभिभावकों और प्रधानपाठक ने की नीति की सराहना
विद्यालय के प्रधानपाठक एवं अभिभावकों ने राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति की सराहना करते हुए कहा कि विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति से शिक्षा की गुणवत्ता में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। यह नीति शिक्षकों की विशेषज्ञता का लाभ सही रूप में विद्यार्थियों तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम सिद्ध हो रही है।

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