रायपुर भारत सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पंचायत कोटिया में विकास और खुशहाली की नई इबारत लिख दी है। इस योजना ने न केवल गरीब परिवारों को पक्का घर प्रदान किया, बल्कि गांव के सामाजिक और आर्थिक जीवन में भी गहरा परिवर्तन लाया है। पहले जहां कई परिवार कच्चे और जर्जर घरों में रहते थे, वहीं आज कोटिया के घरों में पक्की दीवारें, स्वच्छ परिसर और हरियाली के बीच खुशियों की नई रोशनी झिलमिला रही है।
शासन की योजनाओं का सभी ले रहे हैं लाभ
प्रधानमंत्री आवास योजना से कोटिया गांव के 114 आवासों का निर्माण पूरा हुआ है। हर घर के साथ शौचालय निर्माण ने स्वच्छता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब गांव में खुले में शौच की समस्या लगभग समाप्त हो चुकी है। उज्ज्वला योजना से महिलाओं को धुएं रहित रसोई मिली, नल-जल योजना से हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचा, आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की और मनरेगा ने ग्रामीणों को स्थायी रोजगार का अवसर दिया।
ग्रामीणों में तकनीकी जागरूकता
निर्माण कार्यों ने स्थानीय मजदूरों, राजमिस्त्रियों और सामग्री आपूर्तिकर्ताओं के लिए निरंतर रोजगार सृजित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। प्रत्येक आवास परिसर में पौधारोपण अभियान से गांव हरा-भरा और पर्यावरणीय दृष्टि से स्वच्छ बना है। डिजिटल पारदर्शिता के चलते आवेदन से लेकर भुगतान तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हुई, जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लगी और ग्रामीणों में तकनीकी जागरूकता बढ़ी। खास बात यह रही कि कई आवासों का स्वामित्व महिलाओं के नाम पर दर्ज किया गया, जिससे उन्हें आत्मनिर्भरता और सम्मान का अनुभव हुआ।
12 हजार रुपए शौचालय निर्माण के लिए मिला केंवरा बाई को
ग्राम पंचायत कोटिया की निवासी श्रीमती केवरा बाई पति अजय कुमार की कहानी इस योजना की सफलता का जीवंत उदाहरण है। पहले वे अपने परिवार के साथ झोपड़ी में रहती थीं, जहां बारिश के दिनों में पानी भर जाता था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में उनका नाम आवास प्लस स्थायी प्रतीक्षा सूची में शामिल हुआ। ग्राम सभा अनुमोदन के बाद आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने पर उन्हें योजना के तहत 1.20 लाख रूपये की राशि स्वीकृत हुई। इसके साथ ही मनरेगा से 21 हजार 870 रुपए मजदूरी राशि और स्वच्छ भारत मिशन से 12 हजार रुपए शौचालय निर्माण हेतु प्राप्त हुए।
प्रधानमंत्री आवास विकास, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता के प्रतीक
आज श्रीमती केवरा बाई का परिवार सुरक्षित और सम्मानपूर्वक पक्के घर में रह रहा है। भावुक होकर वे कहती हैं कि अब हमारे बच्चों को बारिश में भीगना नहीं पड़ता। यह घर हमारे लिए सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि सुरक्षा, सम्मान और आत्मविश्वास का प्रतीक है।” प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने सिद्ध कर दिया है कि जब सरकारी योजनाएँ पारदर्शिता और निष्ठा से लागू की जाती हैं, तो गांव केवल बसावट नहीं रहते वे विकास, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता के प्रतीक बन जाते हैं।
