नई दिल्ली । भगवान सूर्य की उपासना और लोक आस्था का प्रतीक चार दिवसीय छठ महापर्व पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (रविवार) को पर्व के दूसरे दिन व्रती महिलाओं ने खरना पूजन किया। दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद शाम को शुभ मुहूर्त में छठी मइया की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। जिसके बाद खरना के साथ ही आज 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो गया, जो छठ पर्व का सबसे कठिन और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है।
पूजन के उपरांत व्रतियों ने मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर, रोटी, पूड़ी, रसियाव भात और केला का प्रसाद तैयार किया। इसके बाद सूर्य देव और छठी माता को भोग अर्पित कर पूरे परिवार ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर वातावरण भक्तिमय बन उठा जब महिलाओं ने हे छठी मइया सुन ल अरजिया हमारज् जैसे पारंपरिक गीतों से माहौल गुंजायमान कर दिया। खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो गया, जो छठ पर्व का सबसे कठिन और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। इस दौरान व्रती बिना जल और अन्न ग्रहण किए सूर्य उपासना में लीन रहती हैं। यह पर्व आत्मशुद्धि, संयम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
सुबह स्नान-ध्यान कर लंबा सिंदूर लगाने के बाद महिलाओं ने पूरे दिन संयमपूर्वक उपवास रखा और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाकर छठी माता को अर्पित किया। मान्यता है कि खरना पूजन करने से सूर्य देव और छठी माता व्रतियों को सुख, समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद देती हैं।
डूबते सूर्य को आज अर्घ्य, कल उगते सूर्य को पूजन से होगा समापन
सोमवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन यानी षष्ठी तिथि रहेगी, जब श्रद्धालु डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल के अनुसार, 27 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 6:13 बजे और सूर्यास्त शाम 5:27 बजे होगा। इसी समय घाटों पर लाखों श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करेंगे। इस दिन सुकर्मा योग सुबह 7:27 बजे से और रवि योग दोपहर 1:27 बजे से प्रारंभ होगा, जो 28 अक्टूबर को दोपहर 3:45 बजे तक रहेगा। चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे, जिससे यह अर्घ्य विशेष फलदायी माना गया है। अगले दिन 28 अक्टूबर (मंगलवार) को छठ महापर्व का समापन होगा। इस दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर अपना व्रत पूर्ण करेंगी। मान्यता है कि उगते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सुख-शांति, संतान-समृद्धि और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
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